पृष्ठ:निबन्ध-नवनीत.djvu/१४३

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सिट पिट कर हट जायगे । आप अगरेजी में फिट पिट कारको, इमें शांत करना चाहोगे, पर हमें यही “सुनटा नहीं हय चला जायमा टुम याडमा" सूझेगा । लास खुशामद फरोगे हम एक न सुनेगे। हम जो कुछ लिखेंगे, आप यदि हिन्दू है तो वेद्वापप समझेगे, यदि मुसलमान हैं तो भायाते कुरान पे भी अधिक मानेंगे, अगर नेटिव मिश्चियन है तो अपने माविलाज में नीम के नीचे पडे होकर के हमारे लेप को भी, सच मानिए, अपनी चाइपिल के प्रमाणों में मिलाने लगेंगे ऐसे समय पर कहीं हम विलायत यात्रा-निषेध पर कुछ लिखें को विद्युत् समाचार की नाई समस्त भूमडल पर फैल जाये। श्री ईसाई,(cs.1)ी पदवी मिल जाय । पर भेय्या! : हम तुम्हें यह समझाते है कि साहिय लोगों के ही क्या रकमला (सुर्खाय) का पक्ष लगा' है जो उनके लेसवर और, आर्टिलों को बिना मीमांसा प्राण कर लेने हो, इममें तुम्हारा पाल्याण नहीं है। "यथा राजा तथा मजा" फा आर्थ यह नहीं है कि साबिच लोगों की नाई आपकी लडकी भी मिलें हो जाय । श्रापफी रहन सहन में खडे होके पयाप त्यागे फरना सभ्य समझा जाय । श्राप जो इतने प्रमाण श्री महाभारतादि वृहदितिहासों और श्रीमद्भागवतादि महापुराणों से छारते हैं कि हमारे पूर्वज विलायत जाते थे। इपने माना, किन्तु यह तो समझिए कि उन महापुरुषों ने जाके क्या किया था। किसीने जाके अपनी व्यवहार विद्या फैलाई थी। आप उराटे यही कोरीति नीति सीन आते हैं। उन लोगों ने वहा जाके अपने सनातन धर्म को विस्तृत किया था, आप वहां से ईसाई होके लौटते हैं। आपके पूर्व- दुरुप झट से अन्य देशस्थ मनुष्यों को विशालाक्ष, कालयवन,

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