औरंगजेब की मसजिद का मोमार उसे प्रकट करने को मुंह बा रहा है । पास हा नागेश्वरनाथ का मंदिर है। बहुत बड़ा न होने पर भी माहात्म्य में बड़ा है । शिवालय का अर्घा ( जलहरी) दशनीय है। कहते हैं, अति प्राचीन समय का है। "कनकभवन" यहाँ सब में बड़ा और सबसे अच्छा मंदिर है । उसे टीकमगढ़ के महाराज ने हाल ही में बनवाया है । अयोध्या के योग्य यही एक मंदिर है । मूर्ति भी तदनुरूप और शृंगार भी वैसा ही है।
यों तो अयोध्या में मेले कई होते हैं पर सबसे बड़ा रामनवमी का है । दूर दूर से प्रति वर्ष लाखों आदमी आते है और लाखों ही का व्यापार होता है । देहाती बुरी तरह टूटते हैं महंत और दूकानदार खूब लूटते हैं । सप्ताह भर का कमाई वर्ष दिन तक खाते हैं । मेला मैले (ये अतःकरण के मैले नहीं-हमसे अच्छे हैं) लोगों का है किंतु दर्शनीय है। अवध के ग्राम्य चित्र की प्रदशनी है। रामनवमी के दिन जो इस दशा में भी यहाँ आनंद होता है सो अन्यत्र कहाँ ? चारों ओर सीताराम की ध्वनि और संत-समागम का अलभ्य लाभ रहता है। भगवान की पूर्ण कृपा बिना ऐसे अवसर मे अयोध्या के दर्शन नहीं हो सकते । वे धन्य हैं जो इस विषय में कृतकार्य होते हैं।
अयोध्या के माहात्म्य भी कई हैं। प्रचलित माहात्म्य रुद्रयामल तंत्रोक्तहै। यात्रा के प्रकार भी भिन्न भिन्न हैं। एक दिन