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अयोध्या

साधु-संन्यासी और पुजारियों की जगह पर मुल्ला-मौलवी और काजी. जी. पारूढ़ हुए । अयोध्या का बिल्कुल स्वरूप ही बदल दिया। ऐसी.ऐसी आख्यायिकाएँ और मसनवियाँ गढ़ी गईं, जिनसे यह सिद्ध हो कि मुसलमान औलिये फकीरों का यहाँ कदीमी, अधिकार है। अब तक भी अयोध्या में मणिपर्वत की ओर यह नवाबी समय का दृश्य दिखलाई देता है। इसी समय नवाब सफदरजंग के कृपापात्र सुचतुर दीवान नवलराय ने अयोध्या में नागेश्वरनाथ महादेव का वर्तमान मंदिर बनवाया।

दिल्ली की बादशाही के कमजोर होने से अवध की.नवाबी स्वतंत्र हुई। दक्षिण में मरहठों का जोर बढ़ा । पंजाब में सिक्ख गरजने लगे। सब को अपनी अपनी चिंता हुई। प्राणों के लाले पड़ गए । इसी उलट-फेर और अंधाधुंध के समय में हिंदू संन्यासियों ने अयोध्या में डेरा आ डाला। शनैः शनैः सरयू के तट पर साधुओं की झोंपड़ियाँ पड़ने लगीं। शनैः शनैः राम नाम की मृदु मधुर ध्वनि से अयोध्या की वनम्थली गूंजने लगी। शाही परवानगी से छोटे छोटे मंदिर बनने लगे। धीरे धीरे गुसाँयों और स्वामियों के अनेक अखाड़े आ जमे और जहाँ तहाँ भस्मधारी हृष्ट पुष्ट परमहंस और वैरागी दृष्टिगोचर होने लगे। अपने अपने नेता वा गुरु की अधीनता में अलग अलग छावनी के नाम से इनकी जमातें की जमातें रहने लगीं। लोग आजकल के वैरागियों की तरह वृथापुष्ट और विषया-