पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/२८०

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२३८
निबंध-रत्नावली

पूर्व पहली शताब्दी का मानते हैं। प्रतिमानाटक में भास यह देवकुल का प्लाट कहाँ से लाया ? सुबंधु ने वासवदत्ता में पाटलिपुत्र का अदति के पेट की तरह 'अनक देव कुलों से पूरित' लिखा है । यहाँ देवकुल में देवताओं के परिवार और देवमंदिर का श्लप है। क्या यह संभव है कि भास ने पाटलिपुत्र का शैशुनाक देवकुल देखा हो और वहाँ की सजीवसदृश प्रतिमाओं से प्रतिमानाटक का नाम तथा कथावस्तु चुना हो ? इक्ष्वाकुओं के देवकुल के चतुर्दैवत स्तोमा की ओर लक्ष्य दीजिए। पाटलिपुत्र के स्थापन


  • अदितिजठरमिवानेकदेवकुलाध्यासितम् ।

+ यह ध्यान देने की बात है कि इक्ष्वाकु-कुल में दिलीप, रघु, अज और दशरथ--ये चार नाम लगातार या तो भास में मिले हैं या कालिदास के रघुवंश में । दशरथ को अज का पुत्र तो वायु, विष्णु और भागवत पुराण तथा रामायण, सब मानते हैं । कुमारदास के जानकोहरण और अश्वघोष के बुद्धचरित में भी ऐसा है । वायुपुराण की वंशावली में दिलीप और रघु के बीच में एक राजा और है, फिर रघु, अज, दशरथ हैं । भागवत में दिलीप और रघु के बीच में १५ राजाओं और रघु और अज के बीच में पृथुश्रवा का नाम है । विष्णुपुराण में दिलीप और रघु के बीच में १७ नाम हैं, फिर रघु, अज, दशरथ हैं। वाल्मीकि रामायण में दिलीप और रघु के बीच में दो पुरुष हैं, रघु और अज के बीच में १२ नाम हैं । इस और कालिदास दोनों किसी और नाराशंसी या पौराणिक गाथा पर चले हैं। चमत्कार यह है कि दोनों महाकवि एक हो वंशावलो को मानते हैं ।