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संगीत

 उणादि का प्रत्यय आया डुलक, डियाँ डोलाना,
मा धातु से सिद्व हुआ मुलक, मियाँ मौलाना !!

वाल्मीकि रामायण के पहले किसी ग्रन्थ में गवैयों के अर्थ में कुशीलव शब्द नहीं मिलता । अतएव मेरा सिद्धान्त यह है कि ये दोनों भाई कुशीलव इतने बढ़िया गवैये थे कि उनके पीछे गवैयों भर का नाम कुशीलव हो गया।

भाषा-विज्ञान के खोजी जानते हैं कि विशेष संज्ञानामों से साधारण गुणनाम बन जाते हैं । एक कादंबरी उपन्यास के पीछे मराठी भाषा में उपन्यास मात्र का साधारण नाम कादंबरी हो गया है । एक भागीरथ के हिमालय पर्वत से समुद्र तक गंगा नदी को लाने के परिश्रम को देखकर बड़े हिम्मत के कामों में 'भगीरथ प्रयत्न' कहने लग गए हैं। हिन्दी में एक प्रसिद्ध अंधा सूरदास नामक हो गया है जिसके पीछे अंधे सभी सूरदास जी कहलाते हैं । एक जसवंतराव होलकर काने के पीछे सभी काने जसवंतराव हो गए हैं। 'नव्वाबी', 'सिखाशाही' आदि शब्द भी एक विशेष प्रकार की शासन-प्रणाली के वाचक होकर वैसे गुणों- बाली सभी प्रणालियों के लिये लाये जाते हैं। आजकल भी एक पायोनियर अखबार की प्रसिद्धि से लोगों ने पायनियर को अखबार मात्र का सर्वनाम बना लिया है, जैसे "आपके हाथ में कौन सा पायनियर है?" ढोला नाम का एक ऐसा प्रेमिक हो गया है जिसे अपनी प्रेयसी से वियोग क्षण भर भी इष्ट न था; इसलिये अब राजपूताना में प्रेमी मात्र को ढाला कहने लग-