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निबंध-रत्नावली

किरणों के समान बारिश कर रही है। इस प्रेम नूर की झड़ी साफ बरसती प्रतीत होती है। यह मरियम और ईसा है, इस मरियम ने घर घर अवतार लिया है। घर घर यह अमूल्य ईसा इस तरह अपनी माँ की गोद में सोया है। रैफल जैसे वैद्य, और सर्वकलासंयुक्त चित्रकारों ने अपने सर्वस्व को इस चित्र की पवित्रता के चिंतन में हवन कर दिया है।. आयु इसकी प्रशंसा करते करते व्यतीत कर दी। माता की इस पवित्रता-स्वरूप निगाह, ध्यान करते करते मातावत् पवित्र-हृदय हो गई। माता के इस रूप में लाखों पुरुषों ने जीवन का बरतिस्मा लिया। इस चित्र के नीचे लिखा है “पवित्रता का नमूना" । पाठक ! मेरे लेख में आगे क्या धरा है। जरा अपना बिस्तर खोल दो, जल्दी पढ़ने की मत करो। हो सके तो इस झोपड़ी में दिन-रात रहो तो सही। और कहाँ जाना है। इस देवी के चरणों में बैठ जाओ। इस पवित्र भाव की रज को अपने अंदर के शरीर पर लगाओ। अपने मन को यही विभूति लगा । ला। शिवरूप हो जाओगे। मरियम और उसके बच्चों की तसवीर को हजार बार देखा होगा। परंतु अब बैठ जाओ। हर झोपड़ी के अदर देखो कौन बैठा है।

(९) यह मरियम का लाडला बच्चा मा का दूध पी, मा का अत्यंत प्रेम पान करके जवान हो गया। लटे इसके कंधों पर लटक रही हैं। इसके रूप पर अद्भुत तेज है। इसके नेत्र