पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/२१

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( १७ ) गुलेरीजी का स्वभाव बड़ा ही सरल, निष्कपट और आडंबर- हीन था। मित्रता के नाते को निबाहना ये खूब जानते थे। ये सनातन हिन्दू धर्म के सिद्धांतों के कट्टर अनुयायी थे । यदि इस संग्रह की ओर हिंदी पाठकों का ध्यान गया और उन्हें यह रुचिकर सिद्ध हुआ तो अन्य भागों में दूसरे लेखकों के निबंधों का संग्रह करने की अभिलाषा है। काशी ८-१२-४० } श्यामसुंदरदास