निबंध-रत्नावली
हुए और सब के सब आचरण की सभ्यता के देश को प्राप्त हो गए।
जब पैगम्बर मुहम्मद ने ब्राह्मण को चीरा और उसके मौन आचरण को नंगा किया तब सारे मुसलमानों को आश्चर्य हुआ कि काफिर में मोमिन किस प्रकार गुप्त था। जब शिव ने अपने हाथ से ईसा के शब्दों को परे फेंककर उसकी आत्मा के नंगे दर्शन कराए तब हिंदू चकित हो गए कि वह नग्न करने अथवा नग्न होनेवाला उनका कौन सा शिव था। हम तो एक दूसरे में छिपे हुए हैं। हर एक पदार्थ को परमाणुओं में परि- णत करके उसके प्रत्येक परमाणु में अपने आपको ढूढ़ना- अपने आपको एकत्र करना-अपने आचरण को प्राप्त करना है। आचरण की प्राप्ति एकता की दशा की प्राप्ति है। चाहे फूलों की शय्या हो चाहे काँटों की; चाहे निर्धन हो चाहे धनवान; चाहे राजा हो चाहे किसान; चाहे रोगी हो चाहे नीरोग-हृदय इतना विशाल हो जाता है कि उसमें सारा संसार बिस्तर लगाकर आनंद से आराम कर सकता है; जीवन आकाशवत् हो जाता है और नाना रूप और रंग अपनी अपनी शोभा में बेखटके निर्भय होकर स्थित रह सकते हैं। आच- रणवाले नयनों का मौन व्याख्यान केवल यह है-"सब कुछ अच्छा है, सब कुछ भला है"। जिस समय आचरण की सभ्यता संसार में आती है उस समय नीले आकाश से मनुष्य को वेद ध्वनि सुनाई देती है, नर नारी पुष्पवत् खिलते जाते हैं;