११६ निबंध-रत्नावली बात के लिये चढ़ाई करने आया होगा। उसका हमला करने दो और आने दो।" जब श्रोशियो किले में दाखिल हुआ तब बह सरदार इस मस्त जनरल को पकड़कर बादशाह के पास ले गया। उस वक्त ओ..या ने कहा- राजभांडार, जो अनाज से भरे हुए हैं, गरीबों की मदद के लिये क्यों नहीं खोल दिए जाते ? जापान के राजा का डर सा लगा। एक वीर उसके सामने खड़ा था, जिसकी आवाज में देवी शक्ति थी। हुक्म हुआ कि शाही भांडार खोल दिए जायें और सारा अन्न दरिद किसानों को बाँटा जाय। सब सेना और पुलिम धरी की धरी रह गई। मंत्रियों के दफ्तर लग के लगे रहे। ओशिया ने जिस काम पर कमर बाँधी उसका कर दिखाया। लोगों की विपत्ति कुछ दिनों के लिये दूर हो गई। ओशिया के हृदय की सफाई, सचाई और दृढ़ता के सामने भला कौन ठहर सकता था? सत्य की सदा जीत हाती है। यह भी बोरता का एक चिह्न है। रूस के जार न सब लोगां का फांसी दे दी किंतु टाल्सटाय को वह दिल से प्रणाम करता था; उनकी बातों का आदर करता था। जय वही हानी है जहाँ कि पवित्रता और प्रेम है। दुनिया किसी कूड़े के ढेर पर नहीं खड़ी है कि जिम मुर्ग ने बांग दी वही सिद्ध हो गया। दुनिया धर्म और अटल आध्यात्मिक नियमां पर खड़ा है। जो अपने आपका उन नियमों के साथ अभिन्नता करके
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