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कन्यादान

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दिल चुपके से दे देती है। इस दिल के दे देने की खबर वायु, पुष्प, वृक्ष, तारागण इत्यादि को होती है। लैली का दिल मजनूँ की जात में पहले घुल जाना चाहिए और इस अभेदता का परिणाम यह होना चाहिए कि मजनूं उत्पन्न हो—इस यज्ञ- कुंड से एक महात्मा ( मजनूँ ) प्रकट होना चाहिए। सोहनी मैंहीवाल के किस्से में असली मैंहीवाल उस समय निकलता है जब कि सोहनी अपने दिल को लाकर हाजिर करती है। राँझा हीर की तलाश में निकलता जरूर है; मगर सच्चा योगी वह तभी होता है जब उसके लिए हीर अपने दिल को बेल के किमी झाड़ में छोड़ आती है। शकुंतला जंगल की लता की तरह बहोशी की अवस्था में ही जवान हो गई। दुष्यंत को देखकर अपने आपको खो बैठी। राजहंसों से पता पाकर दमयंती नल में लीन हो गई। राम के धनुष तोड़ने से पहले ही सीता


  • पंजाब के प्रसिद्ध कवि फाजलशाह की रचित कविता में सोहनी

मैंहीवाल के प्रेम का वर्णन है। सोहनी एक कलाल की कन्या थी और मैहीवाल फारस के एक बड़े सौदागर का पुत्र था जो सोहनी के प्रेम में अपना सर्वस्व लुटाकर अपनी प्रियतमा के पिता के यहाँ भैंस चराने पर नौकर हो गया। + यह भी पंजाब ही के प्रसिद्ध कवि वारेशाह की कविता की कथा है।