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हिन्दी साहित्य और स्त्रियाँ
 

कुमारी आदि अनेकों महिलाओं ने हिन्दीसाहित्य के भण्डार को अपनी सत्कृतियों से समृद्ध किया है।

सच पूछिये तो साहित्य को उज्वल बनाने वाली स्त्रियाँ ही हैं। सर्वप्रथम हिन्दी काव्य के वीरगाथा काल की ओर दृष्टि उठायें तो देखेंगे कि पृथ्वीराज रासो से यदि स्त्रियों को निकाल दिया जाय तो पृथ्वीराज आदि राजाओं की वीरता शून्यप्राय हो जाती है। भक्तिकाल में भी सूर तुलसी के समान महान् भक्त कवि स्त्रियों की प्रेरणा से ही साहित्य को इस दर्जे तक पहुँचा सके। रीतिकाल की तो प्राण ही स्त्रियाँ हैं। यहाँ तक कि मुसलमान स्त्रियों पर भी राधाकृष्णा का रंग चढ़े बिना न रहा । काव्य की उपकरण बनकर बदनामी का दुपट्टा स्त्रियों ने स्वयं अपने गले बाँधा किन्तु काव्य को विभूषित ही किया। वर्तमान समय में स्त्रियाँ कविता, गीतिकाव्य उपन्यासों और कहानियों के क्षेत्र में आगे दिखाई देती हैं और ये ही क्षेत्र उनके जीवन के नज़दीक के हैं । यों तो स्त्रियाँ स्वभावत: गुनगुनाती रहती हैं । घर का काम करते समय अक्सर स्त्रियों को देखा जाता है कि वे धीरे-धीरे काई न काई राग अलापा करती हैं । इसलिये उनका गीति-काव्य लिखना स्वाभाविक है। श्री महादेवी वर्मा ने तो अपने प्रियतम के. विरह में राशि-राशि आँसू बहाये हैं। उनकी सभी कविताएँ मधुर वेदना में डूबी हुई, किन्तु युग का प्रकाश देनेवाली और आशापूर्ण हैं । हृदय झूम उठता है। बात भी सत्य है । उनकी कविता हृदय से ही निकली है । तर्क का वहाँ काम नहीं । श्री सुभद्रा. कुमारी चौहान ने राष्ट्रीय जागृति का सन्देश दिया है । इनकी कविताएँ भी जोश भरने वाली और देश-हित का पाठ पढ़ाने वाली हैं। श्री रामेश्वरी देवी चकारी, विद्याक्ती कोकिल, पुरुषार्थवती, होमवती, तारादेवी पांडेय, सत्यवती मल्लिक, रतनकुमारीजी, उषादेवी मित्रा, सुमित्राकुमारी सिनहा आदि कितनी ही देवियां अपनी मधुर अनुभृति में सुन्दर चीजें लिखती हैं । न केवल काव्य अपितु कहानी क्षेत्र में भी स्त्रियों ने अच्छी सेवा की है। कहानी क्षेत्र से वास्तव में स्त्रियों का बहुत निकटस्थ सम्बन्ध है । जीवन स्वयं ही एक कहानी है। छोटा बालक दिन भर खेलता रहता है फिर भी उसे यह स्मरण बना रहता है कि रात को दादीजी व अम्माजी ने कितनी सुन्दर कहानी सुनाई थी। वह कहानी सुनने के लिये रात की प्रतीक्षा में आतुर रहता है । कहानियों की जननी स्त्रिया ही हैं । स्त्री कहानी लेखिकाओं - को यह भी गौरख है कि उनकी कलम मे युग का सुन्दर चित्र उतरा है । उनकी