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नारी-समस्या तो वे उन रुपयों को छिपाना या उनके गहने बनाकर बरबाद करना कभी पसन्द करें । आज स्त्रियाँ गहनों की इतनी भक्त इसीलिये हैं कि उनके पास सिवा गहनों के कोई दूसरा आर्थिक साधन नहीं है। स्त्रियों का महनों से इतना प्रेम पुरुषों ने बलात् करवा रखा है। यदि उनके लिये कोई आर्थिक व्यवस्था हो जाये तो फिर पुरुष देखें कि स्त्रियाँ भी कितनी सादगी से और गहनों के बोझ से मुक्त रह सकती हैं। यदि पुरुष वास्तव में स्त्रियों को अलंकृत देखना चाहते हैं तो उन्हें चाहिये कि वे स्त्रियों को विद्यारूपी आभूषण पहिनावें । इन आभूषणों में स्त्रियाँ जितनी अधिक शोभित हो सकती हैं उतनी सोने-चाँदी के गहनों से नहीं।