पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/४९

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पुरुपों की मनोवृत्ति खर्च कर डालती हैं। वे पढ़ लिखकर होशियार क्या बन जाती हैं, अपनी विन पढ़ी और अजान बहनों को पुरुषों की ही दृष्टि से देखने लगती हैं । अपढ़ और गँवार स्त्रिया बेचारी मन मसोसकर रह जाती हैं । यदि वे तनिक भी मन मैला करती हैं तो पति की कापदृष्टि का शिकार बनना पड़ता है। 'ओछे दिल की' 'संकुचित विचारवाली' आदि अनेक उपाधियों से अलंकृत होना पड़ता है । कुछ पढ़ी लिम्वी स्त्रिया महिना समाज के लिय बरदान न होकर अभिशाप ही सिद्ध हुई हैं । किन्तु उनके विरुद्ध, आज अावाज उठाये कौन ? क्योंकि ये पढ़ी-लिग्बी, सुन्दर युवतिया ही समाज और देश की शोभा मानी जाती हैं । अपढ़ और गँवार स्त्रियों पर उनका प्रेम और सहानुभूति जैमी चाहिय वैसी नहीं होती, अन्यथा आज स्त्री-समाज ऐमा कृप-मण्डूक न रहता । कुछ बहनें अवश्य ऐसी हैं जो स्त्रीजाति की हीनावस्था पर आहे भरती हैं और उनके शिक्षण का, बुद्धि विकाम का प्रयत्न करती हैं, उनका आदर सम्मान करती हैं और उम सम्मान को स्थिर रखने के लिये कष्ट झेलती हैं। उन देवियों का स्त्री-समाज सदा ऋगी रहेगा । एक बार देशदृत' में बदिन श्री रामेश्वरी देवी नेहरू ने "नवयुवकों की मनोवृत्ति' शीर्षक एक लेख लिखा था जिसमें बतलाया गया था कि पुरुष किस प्रकार, मन बहलाने के लिये नुमाइशों में घूमा करते हैं और स्त्रियों को पूरा करते हैं। किम प्रकार वे सज-धजकर छैले बने घूमते हैं आदि । आज स्त्री-सुधार के माथ ही साथ पुरुष- सुधार की भी बहुत आवश्यकता है । स्त्रियों का तो बाहरी आवरण ही अधिक सुधारने की जरूरत है, जैसे वेषभूषा, आभूषणा, रहन-सहन, रीति-रिवाज आदि । और ये सब बातें शिक्षण के साथ गहरा सम्बन्ध रखती हैं । स्त्रियों का "अन्तर” आज भी पुरुषों की अपेक्षा अधिक पवित्र है, यद्यपि उस पर विद्या का मुलम्मा नहीं चमक रहा है । पुरुष कुछ तो विदेशी सभ्यता में रँग जाने से और कुछ विद्या तथा सामाजिक आज़ादी के कारण से चम-चम करते हैं, किन्तु अन्तर उनका उतना पवित्र नहीं है । वे स्त्री का उत्कर्ष अपने से अधिक कभी भी देखना नहीं पसन्द करते । यदि पति मिर्फ मैट्रिक पास है और पत्नी इण्टर में पढ़ रही है तो पुरुष की रूह काँपने लगती है कि कहीं पत्नी की . तपस्या अधिक होने से उसका इन्द्रासन न छिन जाय । दोस्त भी बारूद का काम करते हैं- 'श्रीमतीजी बी० ए० में हैं जनाब और आप मैट्रिक फेल ! अब कानों को जरा सँभालकर ही रखिये, जा गलती की नहीं कि वम आई कयामत !' जिम प्रकार लड़की के दिल में पीहर से ही साम के प्रति डर पैदा कर दिया जाता है