उचित तो यह है कि सब को अपनी-अपनी रुचि के अनुसार काम दिया जाय और कार्यकर्ता को उसके विषय का शिक्षण विशेष रूप से दिया जाय। इस प्रकार कार्यो में विशेषता आ जायगी और सच्ची कला के दर्शन हो सकेंगे। आज समाज का अस्तित्व बना रखने के लिये पुरुषों के समान ही स्त्रियों के लिये भी शारीरिक और बौद्धिक विकास की आवश्यकता है।
प्रायः लोग कहते हैं कि पुराने विचारों की स्त्रियाँ अज्ञान के कारण बहुओं से परदा करवाती हैं, सड़कों पर झुण्ड बनाकर गीत गाती हैं। सास-बहू में और देवरानी-जिठानी में झगड़ा होता है। क्या कोई पुरुष यह सब करने को कहता है। अज्ञान तथा अशिक्षा के कारण ही स्त्रियाँ यह सब करती हैं। किन्तु इस प्रश्न को समझाने के लिये मानस शास्त्र के अध्ययन की भी आवश्यकता है। जब परदा शुरू हुआ तब सासुओं के जरिये नई स्त्रियों में शुरू नहीं हुआ होगा। उसके मूल-विधाता पुरुष ही रहे और वह भी इसलिये कि कोई पुरुष उसकी प्रिया को देख न सके। जब परदे ने शिष्टता और परिपाटी का रूप ले लिया तब सासुएँ भी बहुओं से सम्मान के रूप में परदा कराने लगीं। सड़कों पर गीत गाने की प्रथा मुगलों के आक्रमण काल से ही चली है। उस समय स्त्रियाँ और पुरुष वीरों का उत्साह बढ़ाने के लिये गीत गाते थे। आज उन्हीं का रूप राष्ट्रीय गीतों, प्रभातफेरियों और जुलूसों के गीतों में देखा जा सकता है। किन्तु वीरभावना के नष्ट हो जाने पर पीछे श्रृंगार का बोलबाला हो गया और स्त्रियाँ श्रांगारिक गीतों के लिये उत्साहित की जाने लगीं। पुरानी स्त्रियों से मालूम हुआ है कि युवावस्था में गीतों के अर्थ न समझने पर पुरुष बड़े चाव और प्रेम से उनका अर्थ पूछा करते थे।
पुरुषों से उत्साह पाकर और मनोरंजन का कोई दूसरा साधन न होने से स्त्रियाँ समय समय पर श्रांगारिक गीत गाती हैं। अपनी ही प्रसन्नता के लिये गाती हों, सो बात नहीं। अब तक भी वे यह समझे बैठी हैं कि पुरुष उनके गीत सुनकर प्रसन्न होते हैं और पुरुषों की प्रसन्नता को वे मोक्ष से कम नहीं समझतीं। तभी न वे बाज़ार में आने पर गाना प्रारम्भ करती हैं और गलियों या निर्जन स्थानों में बन्द कर देती हैं। रहा लड़ाई झगड़ों का कारण, सो है स्त्रियों के क्षेत्र का संकुचित होना जिसके कारण हैं पुरुष। अपनी कार्य-सीमा के भीतर उन्हें पति और पुत्र ही दिखाई देते हैं। उसमें भी पति का स्थान मुख्य है। जिस प्रकार भारतीयों लिये चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान भारत ही सर्वस्व है और उस पर दूसरे की अपेक्षा अपना अधिक अधिकार हो, इसलिये वे परस्पर