n नारी समस्या एक ओर तो है हमारे ६३ प्रतिशत ग्रामों में बसे हुए भारत का यह करुण चित्र जहाँ सभ्यता और संस्कृति जैसे शब्द इंद्रजाल के पारिभाषिक शब्दों से अधिक मूल्य नहीं रखते और दूसरी ओर हैं वे नागरिक परिवार जो सभी दृष्टियों से बहुत आगे बढ़ गये हैं। फिर भी वे बहुत आगे बढ़े हों, ऐसी बात नहीं है । विज्ञान और सभ्यता की वृद्धि के साथ इनका मास्तिष्किक विकास ता हुआ है किन्तु हृदय उतना ही संकुचित हो गया है । आज मस्तिष्क और हृदय में सामञ्जस्य का अभाव है । पारस्परिक सहानुभूति, प्रेम और त्याग का स्थान शुष्क बौद्धिक तर्क ने ले लिया है । भाषा, वेश, चिन्तन सभी कुछ पराया हो चुका है । आज की शिक्षित नारी नये-नये साधन एकत्र कर स्वयं को अधिक से अधिक सजाने, सँवारने और दूसरों को अपने सौंदर्य से आकृष्ट करने का प्रयत्न करती है जैसे नारीत्व विकने के लिये ही बना हो । आज शिक्षित नारिया परिवार पर बोझ समझी जाने लगी हैं । वे शान-शौकत में तो विदेशों की नकल करती हैं किन्तु आर्थिक दृष्टि से स्वतन्त्र नहीं हो पाती । न उनमें अपेक्षित साहस और क्रियाशीलता ही आ पाती है । इसलिये ये बनाव/गार वाली नारिया पुरानी रूढ़िग्रस्त नारी का नया एडिशनमात्र कही जा सकती है । विदेशी भाषा बोलने की योग्यता तथा स्टेशनों, क्लबों में जानबूझ कर अपनी भाषा के तिरस्कार तथा विदेशी भाषा के पत्रों, पुस्तकां आदि के व्यवहार से आज की शिक्षित नारी स्वयं को अधिक गौरवास्पद समझती है । शिशुपालन, पाकशास्त्र, गृहकार्य अधिकतर नौकर-चाकरों के भरोसे चलते हैं । ऐसी नारिया यह मान लेती हैं कि समाज में दासवर्ग अवश्य रहना चाहिये । मैं रूढ़ियों की भक्त नहीं हूँ किन्दु नवीन का यह अन्धानुकरण भी उचित नहीं। अाज युग बदल रहा है । प्राचीन संस्कारों, आस्थाओं और विश्वासों की श्रृंखलायें एक-एक कर छिन्न-भिन्न हो रही हैं। पुरातन का स्थान नूतन ले रहा है । सभी देशों में स्त्रिया पुरुषों के साथ बराबरी की हैसियत से काम कर रही हैं। क्या घर और क्या बाहर, स्कूलों, कालेजों, दफ्तरों, लड़ाई के कारखानों, अस्पतालों और खेतों-खलिहानों में सभी जगह स्त्रियों ने प्रशंसनीय कोशल का परिचय दिया है । आज नारी-समस्या पुरुष-समस्या से अलग नहीं रह गई है । एक के साथ दूसरी इस तरह [थी हुई है कि क्षण भर का भी उसे अलग कर नहीं सोचा जा सकता। स्त्रियों को राजनीति में भाग लेना चाहिये अथवा नहीं, विधवा-विवाह उचित है या नहीं, विवाह-विच्छेद उचित है या अनुचित, स्त्रिया युद्धादिकार्यों में सफल हो सकती
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