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नाट्यसम्भव।


को विश्वास दिलावें कि हमारा सोचना ठीक न था!

बलि। हमारे जान यह बलात्कार नहीं, अदले फा : बदला है।

नमुचि । (आपही आप) खूब कहा, और सचही तो कहा। देखें इसका क्या उत्तर मिलता है।

नारद । यह क्योंकर।

बलि । आश्चर्य्य है कि आपको वह बात भूल गई ! अस्तु, सुनिए। जिस समय वाराह भगवान से हिरण्याक्ष के नारे जाने पर हमारे प्रपितामह हिरण्यकश्यप तप करने के लिए मन्दराचल पर चले गए थे, उस समय सूना घर देस कपटी इन्द्र हमारी प्रपितामही (हिरण्यकश्यप की स्त्री) को दैत्य नारियों के साथ बांधकर स्वर्ग को नहीं ले चला था?

नारद। अवश्य इस बात को हम स्वीकार करते हैं। किन्तु क्या तुम्हें यह बात अभी तक नहीं विदित हुई है कि दुराचारी इन्द्र की इस कर्तृत पर हमें बड़ी घृणा हुई थी और हमने बीच मार्ग में पहुंच, उसे धिक्कार कर तुम्हारी परदादी कयाधू को अन्य दैत्यनारियों के सहित उसके हाथ से छुड़ा लिया था।

बलि। (नम्रता से) यह बात हमें स्मरण है और जब तक हमारे कुल का अस्तित्व संसार में रहेगा, हमारे कुल में कोई भी क्यों न रहे, आदर के साथ