इस "नाट्यसम्भव" रूपक -*का*- "कापीराइट" निज मित्र बाबू देवकीनन्दनजी खत्री को सहर्ष अर्पित किया।
श्रीकिशोरीलालगोस्वामी
ज्ञानवापी-बनारस।