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श्री

नाट्यसम्भव

रूपक

जिसे

साहित्यानुरागी रसिकजनों के मनोविनोद के लिये

प्रणयिनीपरिणय, लावण्यमयी. मेममयी, कनककुसुम, सुखशर्वरी, हृदयहारिणी,

लपलता, राजकुमारी, स्वर्गीयकुखुम, लीलावती, तारा, चपला

इत्यादि उपन्यासों के रचयिता-

श्रीकिशोरीलालगोस्वामी ने

बनाया

और

बाबू देवकीनन्दन खत्री ने

प्रकाशित किया।

काशी।

लहरी प्रेस में प्रथम वार मुद्रित हुआ।

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१९०४ ई.

मूल्य ।)
महसूल/)