श्री बटेकृष्ण बी॰ ए॰ (आनर्स), एम॰ ए॰
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ऐतिहासिक सत्यता
छिताई की कथा को ऐतिहासिक मानने के बहुत से प्रमाण है। इसमें वर्णित प्रधान व्यक्ति प्रमुख स्थान तथा घटनाएँ सभी ऐतिहासिक है। विवरण का अधिकांश इतिहास से मिलता है। देवगिरि पर अलाउद्दीन का पहला आक्रमण संवत् १३५१ वि० में हुआ था। इतिहासकारों का कहना है कि अलाउद्दीन को यह युद्ध बहुत परिश्रम से जीतना पड़ा। उसे तरह तरह की अफवाहें फैलानी पड़ी। रामदेव और उसके पुत्र शंकरदेव से अलग अलग दो बड़े बड़े युद्ध लड़ने पड़े, इस प्रकार वह बड़े कौशल से देवगिरि जीत पाया।[१] इस युद्ध के संबंध में कथाकारों का क्या मत है इसे ठीक ठीक बताना कठिन है। दोनों उपलब्ध हस्तलेख इस स्थान तक त्रुटित है। 'छिताई वार्ता' का यह विवरण कि जब राजा रामदेव की प्रजा मुसलमानों से संतप्त होकर उसके पास गई तब उसने मंत्री को समाचार लाने भेजा–इतिहास से पूर्णरूपेण समर्थित है। प्रसिद्ध इतिहासकार किंकेड और पारसनोस कहते है कि मुसलमानी आक्रमण की
- ↑ सी॰ ए॰ किंकेड और डी॰ बी॰ पारसनीस कृत ए हिस्ट्री आफ् दि मराठा पीपुल, प्रथम भाग, छठा अध्याय, पृष्ठ, ४०-४१।