वल्लभ सम्प्रदाय, जिसे पुष्टि सम्प्रदाय भी कहते हैं, उसके आचार्य गोस्वामियों के व्यभिचार भी बुरी दृष्टि से नहीं देखे जाते। और यह बात तो स्पष्ट रूप से होती ही है कि शिष्य लोग अपनी प्रत्येक भोग वस्तु गोस्वामी को समर्पण करते हैं। इस पद्धति का बहुत ही सभ्यता-पूर्वक पालन किया जाता है। फिर भी इस सम्प्रदाय में धर्म व्यभिचार बहुत ही बदनाम होगया है। और लोग उसे अच्छी दृष्टि से नहीं देखते।
पुष्टि मार्ग के १० भाव प्रसिद्ध हैं। वे निम्न प्रकार हैं—
१—सब तरह केवल गुरु का आसरा पकड़ना।
२—श्रीकृष्ण की भक्ति से ही मुक्ति मिल सकती है।
३—लोकलाज तथा वेदशास्त्र की आज्ञा तजकर गुरुकी शरण आना।
४—देव और गुरु के सामने नम्र रहना।
५—मैं पुरुष नही हूँ, किन्तु वृन्दावन की गोपी हूँ, ऐसा मनमें समझता।
६—नित्य गुसाईंजी के गुण गाना।
७—गुसाईं के नाम का महत्त्व बढ़ाना।
८—गुरुकी आज्ञा पालन करना।
९—गुसाईं जो करे अथवा कहे उसी पर विश्वास रखना।
१०—वैष्णवों का समागम और सेवा करनी।