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मुहम्मद साहेब ने तलवार के जोर पर बहुत शक्ति पदा करली और मृत्यु के समय १ लाख के लगभग उनके अनुयायी थे। सारे अरब में इस्लाम धर्म फैल गया था, मुहम्मद साहेब की कड़ी आज्ञा थी कि सारे अरब जो मेरे धर्म को अस्वीकार करें उसे क़त्ल करदो, भाइयों, मित्रों और सम्बन्धियों का भी लिहाज़ न करो। मन्दिरों तक में किसी को शरण पाने पर भी लिहाज न करो। उसने अपने जीवन में भी यमन और शाम देशों पर सेनायें भेजी।

उनकी मृत्यु के बाद खलीफा अख्तर ने तुरन्त सारे अरब से सैन्य संग्रह की और उसके चार भाग करके दमिश्क, शाम, फिलस्तीन और ईरान पर चढ़ाई कर दी। इन सेनाओ मे लगभग ८० हजार मुसलमान सिपाही एकत्र किये गये और उन्होने शाम दमिश्म को ईंट से ईंट बजा दी। ऐसे अत्याचार और निर्दयता से मार काट की कि देश का देश कुचल दिया गया। शाम का बादशाह २ लाख सेना सहित नष्ट भ्रष्ट कर दिया गया। इस मुहिन के दौरान में एक बार ऐसा हुआ कि खलीद सेनापति ४००० सवार लिये धावा मार रहा था। मार्ग में उसने कुछ राहगीरों को जा पकड़ा जो नदी किनारे खाना बना रहे थे। स्त्रियाँ भोजन बना रहीं थीं, बच्चे इधर उधर खेल रहे थे, पुरुष कपड़े सुखा रहे थे। खलीद ने उन्हें लूट कर क्रूरता पूर्वक काट डाला। सुन्दरी स्त्रियों को कैद कर लिया। शाम के बादशाह की बेटी भी उन में कैद कर ली गई। जब उसका परिचय प्राप्त