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मसीह के बाद पावल ने ईसाई मत का प्रचार किया। इसे भी आश्चर्यजनक सङ्कट सहने पढे। पाँच बार यहूदियों की रीति से और तीन बार रोमियों की रीति से उसने कोड़े खाये। एक बार पत्थर वाह किया गया और चार बार उसकी नाव मारी गई। एक रात दिन वह समुद्र में रहा और अन्त में मसीही धर्म पर विश्वास के अपराध पर मारा गया। इस धीरजवान् पुरुष ने मसीही धर्म का प्रचार बड़ी निर्भीकता और अदम्य उत्साह से किया और बड़े धैर्य और सहिष्णुता से सब कष्टों का सामना किया। उसने ऐशिया, यूनान, फिलिप्पी, थिसलिनी, विरिथ, इकिस और मिलित नगरों में प्रचार किया और बहुत से शिष्य बनाये। अन्त में जेरूसलेम में फिर पकड़ा गया और दो वर्ष कैसरिया नगर में कैदी रख कर रोम को भेजा गया।

उन दिनों रोम नगर संसार के बढ़े चढ़े नगरो में एक था। संसार भर के भाषा भाषी व्यापारी रोम के बाजारों में चलते थे। मानो वह एक स्वयं छोटा सा जगत् था। इसका विस्तार बहुत अधिक था और यह सात पहाड़ों पर बसा हुआ था। उस में ३० लाख आदमी रहते थे। एक हज़ार सात सौ अस्सी सरकारी इमारतें थीं। देवताओं के चार सौ से अधिक मन्दिर थे। जिनमे केपिटोल नामक यूपिटर देवता का मन्दिर जो कपिटोली नामक पहाड़ी पर बना था, बड़ा विशाल था और इसके ऐश्वर्य की बड़ी प्रसिद्धि थी। उसकी लागत एक करोड़ रुपये कूते जाते थे। रोम के बादशाह ने ऐसी इस महानगरी में भयङ्कर