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नहीं? लड़के ने देखकर कहा—कहाँ? यह तो लाल धागा दांतों से लिपट रहा है।

यह सुनते ही लाला खुशी से उछल पड़े। बेटे को छाती से लगा लिया और कहा—बस इसी ने इस वक्त जान बचाई है। इसके बाद खाना खाकर फिर दूकान पर जा डटे।

इस अन्ध विश्वास के चक्कर में फंसकर हमने बहुत कष्ट झेले हैं। परन्तु कही भी कुछ परिणाम देखने को नहीं मिला। एक बार एक व्यक्ति के कहने से २१ दिन अन्न जल त्याग अखंड जप दुर्गा का किया। उस व्यक्ति ने कहा था, साक्षात् दुर्गा दर्शन देगी। पर दुर्गा की दासी ने भी दर्शन नही दिये। एक बार कण्ठ तक जल में कठोर शीत ऋतु में लगातार ४१५ घण्टे प्रतिदिन ३ मास तक खड़े रहकर मृत्युंजय और गायत्री का जप किया, परन्तु हमें उससे कुछ भी सिद्धि न प्राप्त हुई। और भी बहुत से कष्ट साध्य और अद्भुत अनुष्ठान हमने किये। और हम दावे से कह सकते हैं, ये सभी झूठे और पाखण्ड पूर्ण निकले।

हाल ही में मेरे एक मित्र हैदराबाद दक्षिण से आये। दो चार दिन बाद ही उनके घर से जल्द आने का तार आ गया। वे अपने नवजात शिशु को रोगी छोड़ आये थे। उसी की चिन्ता ने उन्हें धर घेरा। बारम्बार उसी बच्चे की अशुभ कल्पना उनके मन में उठने लगी। तार देकर पूछा कि क्या हाल है, पर जवाब का सब्र न था, एक नामी ज्योतिषी के पास गए, ग्रह दशा दिखाई और उन्होंने रंग ढंग देख पितलाया सा मुंह बनाकर कहा—बच्चे पर