हुए बाग़ भी देखे थे और उस पानी की कल का भी टूटा भाग देखा था जो नदी से उन वृक्षों तक पानी पहुंचाता था। उन्होंने उस असाधारण कृत्रिम झील को भी देखा जिसमें आरमिनिया के पहाड़ों का बर्फ पिघल पिघल कर आता था, और फ्रात नदी के वंधान से रुककर सारे शहर में बहता था।
इन सब दिग्दर्शनों ने उन मेधावी पुरुषों के मस्तिष्क में वह शक्ति उत्पन्न की जिसके कारण इन्होंने आगे चलकर अलग्ज़ेण्ड्रिया में गणित और व्यवहारिक विद्या की पाठशालाऐं खोलीं। और यूनान ज्ञान का केन्द्र होगया।
सिकन्दर के इस युद्ध संघर्ष में एक बात और भी थी, फारिस वाले सदैव ही यूनानियों के मूर्ति पूजनकों को आश्चर्य की दृष्टि से देखते थे, और जब भी उन्हें आक्रमण करना होता था—वे उनका निरादर करने मे नहीं चूकते थे। फारिस मे भी अनेक प्राचीन राज्यों की भाँति अनेक धर्म प्रचलित हुए, पहिले वहाँ जरदुस्त का चलाया हुआ अद्वैतवाद रहा, पीछे वे द्वैतवादी हुए, फिर मैजियन धर्म चला, सिकन्दर के आक्रमण के समय फारिस एक ईश्वर ही को सर्वव्यापी शक्तिदाता मानता था।
यूनान मे तत्त्व ज्ञान के आधार पर नीच अश्लील चरित्र आलम्पियन देवताओं की मूर्तियां पूजी जाने लगी थी। मैजियन धर्म मे, अग्नि, ईश्वर का सर्वोत्तम प्रतिनिधि समझी गई। और वह सदैव खुले मैदानो मे जलती रहती थी। सिकन्दर की मृत्यु पर अरस्तु का तत्वज्ञान जो आनुमानिक न्याय के आधार पर था