यूनान ने अन्धविश्वास से मुक्त होकर फारिस की आधीनता से इन्कार कर दिया तो बड़ी खलबली फैल गई। क्योंकि उस समय फारिस का साम्राज्य वर्त्तमान समस्त यूरोप के विस्तार से आधा था और वह राज्य भूमध्यसागर, ईजियन सागर, कृष्ण सागर, कैस्पियन सागर, इण्डियन सागर, फारिस सागर और लाल सागर के किनारों तक फैला था। उस राज्य में दुनिया के ६ बड़े नद बहते थे। जिन में से प्रत्येक की लम्बाई एकहज़ार मील से कम न थी। उसके राज्य की भूमि की सतह समुद्र की सतह से १३०० फीट नीचे से लेकर २०००० फुट तक ऊंची थी। इस कारण वह महाराज्य धन धान्य कृषि से भरपूर था। उस का खनिज द्रव्य भी अतुल था। वहां के बादशाह को नीडियन राज्य, असीरियन राज्य और कैलडियन राज्य के विशेषाधिकार विरासत में मिले थे, जिन के इतिहास दो हज़ार वर्ष पीछे तक का ठीक पता देते थे।
इस महाप्रतापी साम्राज्य के सामने यूरोपियन यूनान अति नगण्य था। पर जब जब यूनान से फारिस का युद्ध संघर्ष हुए, तब २ यूनानी सर्वोत्तम सिपाही प्रमाणित हुये। इन युद्धों से उन के हौसले बढ़ गये और उन्हें साम्राज्य के छिद्र मिल गये। और अन्त में यूनानी सेनाएं दुर्धष साहस से फारिस के मध्य-स्थल तक घुस गई और सफलता पूर्वक निकल भी आईं।
उन्होंने शीघ्र ही फारिस के सम्पन्न नगरों को लूटने का साहस किया जिसे फारिस की सरकार ने रिशवतों के द्वारा शान्त किया।