(१६४)
केश का योग है। कहीं न कहीं जान का ख़तरा है। लाला जी घबरा गये। उपाय पूंछा। ज्योतिषी जी ने अनुष्ठान की सलाह दी और २०) वसूल कर चलते बने। चलती बार कह गये—शाम के ६ बजे से सुबह तक घर ही में रहना। किसी से इस ग्रह का हाल न कहना, न ख़याल में लाना। उन्होंने यही किया। अनुष्ठान का हाथो हाथ फल पाकर स्त्री प्रसन्न हो गई। दोपहर को पण्डित जी फिर पहुँचे और स्त्री से २००) ठग लाए कि पक्का प्रयत्न हमेशा के लिये कर दूंगा। पक्का इन्तज़ाम ऐसा हुआ कि बेचारी को कुछ दिन बाद और भी बुरा दिन देखना पड़ा।
एक ज्योतिषी जी को एक सेठानी ने बुलाकर कहा कि मेरा पति वेश्या के यहाँ जाता है कुछ उपाय कीजिए। उसने अनुष्ठान करने का वादा किया। उसने सेठ से कहा—आप के ग्रह ठीक नहीं, यदि आप उस स्त्री के पास अमुक तिथि तक जायेंगे तो बड़ा घाटा रहेगा। उन दिनों घाटा हो भी रहा था। लाला घर में सोने लगे। स्त्री ने प्रसन्न हो १००) नज़र कर दिये। वेश्या को पता लगा तो उसने उन्हें बुला कर बहुत लल्लो चप्पो की और २००) नज़र किये तब ज्योतिषी जी ने सेठ से कहा अब रास बदल गई है—उसके पास जाने से ही लक्ष्मी आवेगी। आँख और गाँठ के अन्धे सेठ जी फिर वहाँ जाने लगे।
एक बार एक ज्योतिषी जी ने एक जिमींदार को, जिसका मुकदमा चल रहा था जाकर कहा आपके ग्रह बहुत अच्छे पड़े हैं यज्ञ करो मुकदमा जीतोगे। यज्ञ में भैंसे की बलि दी जायेगी। यज्ञ