पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१६१

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उसका नाम नत्था या नथमल रख देते हैं। यह कड़ी उसके विवाह में उसकी सास ही खोल सकती है, ऐसा मारवाड़ में रिवाज़ है। प्रायः जिनकी सन्तान मर मर जाती हैं वह माता किसी अन्य बालक के बाल या कपड़ा कतर लेती हैं, और इस बात का जब उस बालक के अभिभावकों को पता लगता है तो बड़ा भारी घर युद्ध होता है।

बच्चे के रूप की तारीफ़ करने से उसकी माता बुरा मान जाती है। वह उसे भद्दे रूप में रखना और भद्दे नामों से पुकारना पसन्द करती है। प्रायः वह बच्चे को रोगी और दुबला बताया करती है। चाहे वह कितना ही मोटा क्यों न हो। बच्चे के रोगी होने पर नज़र ही का सन्देह रहता है। फिर तो लाल मिर्चों की धूनी दी जाती है या देवी देवताओं का चरणामृत दिया जाता है।

इस पाखण्ड के आप ज़रा दो एक नमूने सुनिऐ—एक चलते पुर्जे ज्योतिषी जी ने देखा कि अमुक लाला जी रोज वेश्याओं में घूमा करते हैं। उन्होंने अपनी सिद्धाई की शोहरत उनकी स्त्री तक पहुँचाई और वहाँ पहुँच भी गए। स्त्री ने अपना दुख रोया और पति को वश में करने का उपाय पूंछा—ज्योतिषी जी ने अनुष्ठान का एक ही दिन में चमत्कार दिखाने का वचन दिया और २०) लेकर चम्पत हुए। अब वे लाला जी के पास गये। उन्होंने पूंछा—कहो महाराज, आज कल दिन कैसे हैं? ज्योतिषी जी ने पत्रा खोल, उंगली पर गिनती गिन कर कहा—तुम्हें तो आज मार