आदमी दौड़ता आया, सुनारों को सामने से हटाता चला, क्योंकि राजा साहेब की सवारी आ रही थी।
काने पुरुष का मिलना अशुभ है। गधा बांई ओर और साँप दाँई ओर मिलना शुभ है। चलती बार टोकना अशुभ है। देवी देवताओं से भी शकुन देखे जाते हैं। मूर्त्ति के ऊपर चढ़ाई माला या फूल खिसक पड़ना अशुभ है। प्रायः देवी देवताओं के सामने आग पर नारियल की गिरी या घी डाला जाता है, यदि आग भभक उठे तो जोत जगना कहते हैं और कार्य सिद्धि का लक्षण समझते हैं। और भी बहुत से टोटके किये जाते हैं—जिन की गिनती नहीं हो सकती।
सर्प और छिपकली भी शकुन देखने की चीज़ें हैं। दो साँपों का लड़ना घर में लड़ाई होने का लक्षण है। दो साँपों का एक ही ओर जाना दरिद्र आने के समान है। सर्प को हरे वृक्ष पर चढ़ते देखना इतना अच्छा है कि देखने वाला सम्राट् होगा। राजा यदि साँप को पेड़ से उतरता देख ले तो अशुभ है। सोते हुए साँपका सिर पर फन फैलाना शुभ है। साँप को घर में प्रवेश करते देखना धन प्राप्ति का लक्षण है। भूमि पर मरा साँप देखना घर में होने वाली मृत्यु की सूचना है। छिपकली का अध्याय भी बड़ा टेढ़ा है। शरीर पर ६५ स्थान हैं उन पर छिपकली के गिरने से भिन्न २ शुभाशुभ फल होते हैं। प्रातः काल सो कर उठने पर शुभ शकुन देखने की हिन्दुओं को बड़ी फिक्र रहती है। प्रायः वे हथेली को रगड़ कर देखा करते हैं। क्योंकि पाखण्ड शास्त्र मे लिखा है :—