पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१२८

यह पृष्ठ प्रमाणित है।

(१२८)

उसे खाने को नहीं दिया गया। सास-ससुर जिस कमरे में सोते थे, ननीपद भी उसी में सोता था। लड़की स्वयं दूसरे बिस्तर में सोती थी, ननी ने बल-पूर्वक उसका सतीत्व नष्ट करना चाहा। इस समय उसकी आत्महत्या करने की इच्छा हुई। जब वे लोग उसे पीटते तो वह रोती। उसका रोना सुनकर पड़ोस के सम्भ्रांत लोग आते; वे लोग उन्हें ग़ालियाँ देकर निकाल देते। उसे केवल एक जून भात खाने को मिलता था; दाल, तरकारी वग़ैरा कुछ नहीं दिया जाता था। सरसों के कच्चे तेल के साथ वह भात खाती, एक दिन उसका देवर ननी लगातार कई घण्टों तक उसे पीटने के बाद उसके मुँह के भीतर कपड़ा ठूंस कर उसे पकड़ कर उसके बाप के मकान में डाल गया और भाग कर चला गया। इस के पहिले एक दिन उसकी सास तथा देवर ने खिड़की में लगी हुई लोहे की छड़ के साथ एक रस्सी से उसका गला, हाथ और पाँव कस के बाँध दिये, उस ने अदालत को रस्सी के दाग दिखाये। लड़की ने अदालत में यह भी कहा कि दूसरे देवर भी उसे बीच-बीच में तङ्ग किया करते थे। घर का सब काम उसी को करना पड़ता था। सास उसे किसी काम में बिलकुल सहायता नहीं देती थी, उसके ससुर का चरित्र अच्छा नही था; अक्सर रात को कुलटा स्त्रियाँ उसके पास आती थीं। उस ने कहा कि जवानी में उसकी सास का चरित्र भी अच्छा नहीं था—ऐसा उसने सुना है।