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कार्य के लिये तैयार हो गया। उनका एक नौकर कम्बो जाति का था उसका छः वर्ष का एक पुत्र था। वह पाँच सौ रुपये लेकर अपने पुत्र को स्वयं मारने को तैयार हो गया। नियत समय पर घर के सब व्यक्ति एकत्रित हुए। लड़के के ज़ालिम बाप ने साग काटने के दरात से उसकी कर्दन काटना शुरू किया। और उस का खून निकाला गया। इसके बाद वह पिशाच उसकी लाश को जङ्गल में दफना आया। परन्तु इस भयानक काम से उसे जाड़ा बुख़ार जैसा चढ़ आया और वह थर थर कांपता बालक को दफना कर एक डाक्टर साहेब के पास गया और दवा मांगी। डाक्टर ने उसकी चेष्टाओं से सन्देह किया कि इस ने कोई काण्ड किया। उसने प्रथम तो कहा कि मेरा लड़का मर गया फिर सब बातें बयान कर दी। पुलिस में ख़बर की गई और लड़के का बाप, स्त्री, उसका पति आदि कई आदमियों का चालान हुआ। स्याने को भी पुलिस ने पकड़ा था। पर उसे इधर उधर के लोग सिफारिश करके छुड़ा लाये और वह नीच इस केस से बिलकुल ही बच गया। सेशन में केस चला। वहाँ से दो को फाँसी एक को काला पानी की सज़ा हुई। अपील में सब छूट गये सिर्फ उस बालक के पिशाच पिता को कालापानी हुआ।

ज़िले मेरठ में एक स्त्री अदालत में इस अपराध में लाई गई थी कि उसने एक ३ साल की बच्ची को ज़िन्दा गाड़ दिया था। उसे ज्योतिषी ने यह बता दिया था कि ऐसा करने से उसके बच्चे जो हो हो कर मर जाते थे अब न मरेंगे।