पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/९५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४१ पर्च की पुस्तक । ८५ लिये अर्थ किया तैसा हुआ मझे आप ने पद फिर दिया और उसे फांसी दिई ॥ १४ । नव फिरजन ने यूसुफ को बुलवा भेजा और उन्हें ने उसे बंदीगृह से दौड़ाया और उस ने बाल बनवाया और कपड़े बदल फिरजन के आगे आया ॥ १५। तब फिरजन ने यमुफ से कहा कि में ने एक स्वप्न देखा जिस का अर्थ कोई नहीं कर सका और मैं ने तेरे विषय में सुभा है कि तू खप्न को समुझके अर्थ कर मक्ता है ॥ १६ । और यमुफ ने उत्तर में फिर ऊन से कहा कि मुझ से नहीं ईश्वर ही फिरजन को कुशल का उत्तर देगा॥ १७॥ तव फिरऊन ने यूसुफ से कहा कि मैं ने खप्न देखा कि में नदी के तौर पर खड़ा है ॥ १८। गौर क्या देखता हूं कि मेाटी और सुंदर सात माथि नदी से निकली और चराई पर चरने लगीं। १८ । और क्या देखता हूं कि उन के पीछे अत्यंत कुरूप चौर बुरी और डांगर और सात गाये निकली ऐसी बुरी जी मैं ने मिस्र के सारे देश में कभी न देखा ॥ २० । और वे डांगर और कुरूप गायें अगिनी मेटिौ सात गायों को खा गई॥ २१॥ और जब वे उन के उदर में पड़ी तव समुझ न पड़ा कि वे उन्हें खा गई और वे वैसी ही कुरूप थीं जैसी पहिले थी तब मैं जागा॥ २२। और फिर खप्न में देखा कि अच्छी घनी सात वालें एक डांठी में निकलौं ॥ २३। और क्या देखता हूं कि और सान वालें मुरझाई हुई और पतली पुरवी पवन से कुम्हलाई हुई उन के पीछे उौं । २४ । और उन पतली वालों ने उन अच्छौ सात बालों को निगल लिया और मैं ने यह टोनहाँ से कहा परन्तु कोई अर्ध न कर सका ॥ २५ । तब यूसुफ ने फिरजन से कहा कि फिरऊन का खप्न एक ही है जो कुछ ईश्वर को करना है सो उस ने फिरजन को दिखाया है। २६ । वे सात अच्छी गायें सात बरस हैं और वे अच्छी सात बालें सात बरस हैं स्वप्न एक ही है। २७। और वे डांगर और कुरूप सात गायें जो उन के पीछे निकलौं सात बरस हैं और वे सात छुकी बालें जो पुरवी पवन से कुम्हलाई हुई हैं से अकाल के सात बरस हैं ॥ २४ । यही बात है जो मैं ने फिरजन से कही ईश्वर जो कुछ किया चाहता है फिरजन को दिखाया ॥ २६ । देखिये कि मात बरस लो मिस्र के सारे देश में बड़ी बढ़ती हेरगी॥ ३० । और उन