पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/९२

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उत्पत्ति [१० पब के चिनाई तो अपना पहिरावा मेरे हाथ में छोड़ भागा और बाहर निकल गया ॥ १६ । सो जब ला उम् का पति घर में न आया उस ने उम् का पहिराया अपने पास रख छोड़ा॥ १७। तब उस ने ऐसी ही बात उस्से कहीं कि यह इबरी दास जो त ने हम पाम ला रक्खा घुस आया कि मुझ से ठट्ठा करे। १८। और जब मैं चिल्ला उठी तो बुह अपना पहिराबा मेरे पास छोड़ कर बाहर निकल भागा॥ १९ । जब उस के खामी ने ये बातें सुनी जो उस की पत्नी ने कहीं कि मेरे दास ने मुझ से यों किया तो उस का क्रोध भड़का ॥ २० । और यूसुफ के खामी ने उसे लेके बंदीगृह में जहां राजा के बंधुए बंद थे बंधन में डाला और वह वहां बंदीगृह में था ॥ २१ । परन्तु परमेश्वर यूसुफ के साथ था और उस पर कृपा किई और बंदोगह के प्रधान को उस पर दयान किया ॥ २२। और बंदीगृह के प्रधान ने बंदीगृह के सारे बंधुनों को यूसुफ के हाथ में सौपा और जो कुछ वे करते थे उन का प्रधान वही था ॥ २३ । और बंदीगृह का प्रधान उस के सारे कार्यो से निश्चित था इस लिये कि परमेश्वर उस के साथ था और उस के कार्यों में जो उम ने किये ईमार ने भाग्यमान किया। ४. चालीसवां पर्च। पर इन बातों के पीछे या हुआ कि मिस्र के राजा के पियाज ने और रसोइया ने अपने प्रभु मिस्र के राजा का अपराध किया। २। और फिरजन अपने दो प्रधानों पर अर्थात् प्रधान पियाज पर और प्रधान रसाइंया पर क्रुद्द हुना ॥ ३ । और उस ने उन्हें पहरू के प्रधान के घर में जहां यूसुफ बंद था बंदीगृह में डाला ॥ पहरू के प्रधान ने उन्हें यूसुफ को सौंप दिया और उम ने उन की सेवा किई और वे कितने दिन लो बंद रहे ॥ ५। और हर एक ने उन दोनों में से बंदीगृह में अर्थात् मिस्र के राजा के पियाज और रसाइंया ने एक ही रात एक एक खान अपने अपने अर्थ के समान देखा ॥ बिहान कई यसफ उन पास आया और उन पर दृष्टि करके क्या देखता है कि वे उदास हैं। । तब उस ने फिरजन के प्रधानों से जो उस और ४। और