पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७९८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[२५ पन्ने ७६२ राजावलो की २ पुस्तक । वयकीन को बंधुआई से उभारा। २८। और उस्म अच्छी अच्छी बातें कहीं और उस के सिंहासन को उन सब राजारों से जो उस के साथ बाबुल में थे बढ़ाया ॥ २८ । और उस की बंधुभाई, यो बस्त्र को पलट डाला और अपने जीवन भर उम के मंच पर उस के संग भाजन करता रहा । ३० । और उस के जोवन भर उस के प्रति दिन की बत्ति नित राजा की ओर से दिई जाती थी।