पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७८३

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१६ पर्च को २ पुस्तक। २५ । क्या न ने नहीं सुना कि मैं ने गिले समय में क्या किया है और अगिले ममय से क्या क्या बनाया अब में ने परा किया है कि त घेरित नगरों को उजाड़ और ढर टर करे ॥ २६ । सेर वहां के निवामी दुल थे और विहिन होके धबरा गये वे तो खन को घास और हरियाली मागपात कतों पर की घाम हैं जो बढ़ने से आगे भोस जाती है ॥ २७। परन्त तेरा निवास और बाहर भीतर आना जाना और गझ पर तेरा - लाना जानता हूं ॥ २८ । मुझ पर तेरा झझलाना और तेरा जल र मेरे कान लो पहुंचा है दूम लिये में अपना कांटा तेरी नाक में मागा और अपनी ढाठी तेरे मुंह में देऊंगा और जिम मार्ग से न आया है मैं तुझे उस ही से फरूंगा ॥ २९ । अब तेरे लिये यहो पता है कि तुम अब को बरस वही वस्त खाओगे जो आप से आप जगती हैं और दूसरे बरम जो उसी से जगती हैं और तीसरे बरस बोयो और लो और दाख को बारी लगाया और उनके फल खायो । ३०। और यहूदाह के घराने से जो वन निकना है फिरके जड़ पकड़ेगा और ऊपर फल लावेगा॥ ३१ ॥ क्याकि बचा हुआ यरूसलम से और बच निकले सैहून के पहाड़ से निक- लग परमेश्वर का ज्वलन ऐमा करेगा॥ ३२ । इस लिये परमेश्वर असूर के राजा के विषय में यह कहना है कि वह इस नगर में न अावेगा न यहां बाण चलायेगा और न ढाल पकड़ के उस के श्रागे प्रावेगा न इस के बिरोध में मर चा बांधगा। ३३। परमेश्वर कहता है कि जिस मार्ग से बुह अाया उमो से फिर ज्ञावगा और इम नगर में न आयेगा ॥ ३४॥ क्योंकि में अपने ही लिये और अपने सेन क दाऊद के लिये इस नगर का आड करके उसे बचाऊंगा। ३५ । और एमा हुअा कि परमेश्वर के टूत ने जाके अमूर को छावनी में उस रात एक लाख पचासो महस मनध्य धान किया और लड़के उठने हो क्या देखते हैं कि मब लोथ पड़ी हैं। ३६ । से अमर का राजा मनहेरौब चला और फिर गया और नौनवः में जा रहा ॥ ३७। और यों हुया कि ज्यां वह अपने देव निमरूक के मन्दिर में पूजा करता था उस के बेट अदरम्मलिक और शरेजर ने उसे तलवार से मार डाला और वे बच के अरारान के देश को गये और उस का बेरा अमर हदढून उस की सन्तो राज्य पर बैठा। [ [A. B. S.] को 98