पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७४९

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को २ पुस्तक बात सुन ७ पब्ब] ७४३ परंतु उस ने अपना बेटा छिपा रक्खा है॥ ३० । राजा ने उस स्त्री की के अपने कपड़े फाड़ और मौत पर चला जाता था और लोगों ने जो दृष्टि किई तो देखो अपने शरीर पर भीतर उदासी वस्त्र पहिने था ॥ ३१ । तब उस ने कहा कि ईश्वर मुझ से वैसा और उससे भी अधिक करे यदि आज सफत के बेटे इलीसा का सिर उस पर ठहरे। ३२ । और दूलीमाअ अपने घर में बैठा था और प्राचीन भी उस के साथ बैठे थे और राजा ने अपने माथ का एक जन अपने आगे भेजा परंतु दूत न पहुंचा था कि इलौसाअ ने प्राचीनों से कहा कि देखा इस बधिक के बेटे ने कैसा भेजा है कि मेरा सिर काट सो देखा जब टून आवे तो द्वार बन्द करो और उसे दृढ़ता से द्वार पर पकड़े रहो क्या उम के पीछे पौछ उस के खामी के पांव का शब्द नहीं । ३३ । और बुह उन से यह कही रहा था तो क्या देखता है कि दूत उस पास या पहुंचा और उस ने कहा कि देखा यह बिपत्ति परमेश्वर की ओर से है अब आगे मैं परमेम्बर को बार क्यों जोहूं। ७ सातवां पर्द। ब इलीसा ने कहा कि परमेश्वर का बचन सुने परमेश्वर यों कहता है कि कल इसी जून समरून के फाटक पर चोखा पिसान पांच सूकी का एक पैमान: बिकेगा और जव दो पैमानः पांच सूको को। २। तब राजा के एक प्रतिष्ठित ने जिस के हाथों पर राजा उठगता था ईश्वर के जन को उत्तर दिया और कहा कि देख यदि परमेश्वर वर्ग में खिड़. कियां बनाता तो क्य ऐसा ही सक्ता तब उस ने कहा कि देख तू अपनी आंखों से देखगा पर उसमे न खायगा ॥ ३। और नगर के फारक की पैठ में चार कोढ़ी थे उन्हों ने बापुस में कहा कि मरने लो हम यहां क्यों बैठे। ४। यदि हम कहें कि नगर में जायेगे तो मगर में अकात है और हम वहां मर जायेंगे और यदि यही बैठे रहें तो भा मरेंगे सो अब चलो हम रामौ सेना में जावें यदि वे हमें जीवते कोड़ेगे तो हम बचेंगे और यदि वे हमें बधन करें तो मर हो जायंगे ॥ ५ । सेो वे गोधूली में उठ के परामियों को सेना को चल निकले और जब चे अरामियों