पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७४८

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समरूम में ले गया। ७४२ राजावली मात्र की चारों और पहाड़ आम के घोड़ों और गाड़ियों से भरा हुआ है। १८। और जब वे उस पर उतर आये तो दूलीसा ने परमेश्वर से मार्थना करके कहा कि इन लोगों को अन्धा कर डाल और इलौसान के वचन के समान उम ने उन्हें अन्धा कर डाला ॥ १८ । फिर इलीसाअ ने उन्हें कहा कि यह मार्ग नहीं यह नगर नहीं तुम मेरे पीछे पीछे चले आओ और मैं तुम्हें उस जन पास पहुंचाऊंगा जिसे तुम ढूंढ़ते हो और वुह उन्हें २०। और जब वे ममरून में पहुंचे तो यों हुआ कि इलीसाथ ने कहा कि हे परमेश्वर उन की आंखें खोल जिसमें वे देखें तब परमेश्वर ने उन की आंखें खोलौं और वे देखने लगे और क्या देखते हैं कि समरून के मध्य में हैं ॥ २१ । पर इसराएल के राजा ने उन्हें देख के इलीमाअ से कहा कि हे पिता मैं बधन करूं मैं बधन करूं ॥ २२ । और उम ने कहा कि बधन मत कर क्योंकि जिन्हें त ने अपने तलवार और धनुष से बन्धुश्रा किया तू उन्हें बधन करता उन के आगे खाना पीना धर दे जिसमें वे खा पीके अपने स्वामी पासजायें ॥ २३ । सेो उस ने उन के लिये बहुत सा भोजन सिद्ध करवाया और जब वे खा पी चु के तो उस ने उन्हें बिदा किया और वे अपने खामी पाम चले गये और फिर कभी बराम की जथा दूसराएल के देश में न आई ॥ २४ । इस के पोछे ऐसा हुआ कि राम के राजा विन हदद ने अपनी समस्त सेना एकट्टी किई और चढ़ के समरून को घेरा ॥ २५ । नव समरून में बड़ा अकाल पड़ा और वे उसे घेरे रहे यहां ले कि गदहे का एक सिर नब्बे रुपये के ऊपर विकता था और कपोन की बीट पाव भर से कुछ ऊपर पांच रुपये से अधिक को विकती थी॥ २६ । और यो हुआ कि जब दूसराएल का राजा भीत पर जाता था एक स्त्री उस के आगे चिल्ला के बोली कि हे मेरे प्रभु राजा सहाय कौजिये ॥ २७। तब बुह बोला कि यदि परमेश्वर ही तेरी सहाय न करे ना मैं तेरी सहाय कयांकर करूं क्या खन्ने से अथवा अंगर के कोल्हू से ॥ २८ । फिर राजा ने उसे कहा कि तुझे क्या हुआ उस ने उत्तर दिया कि इस स्त्री ने मुझे कहा कि श्रायो तेरे बेटे को अाज खायें और अपने बेटे को कल खायेंगे॥ २८ । सेो हम ने अपने बेटे को उसिन के खाया और में ने दूसरे दिन उसे कहा कि अपना बेटा ला जिसने हम उसे खावे