पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७३७

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कौ २ पुस्तक । १०। उम ने के रथ और उम २ पब्वे ७३१ मांग कि मैं तेरे लिय क्या करूं तब दूनीमाअ बोला कि मैं तेरी बिनती करता हूं कि तेरी आत्मा से दूना भाग मुझ पर पड़े । कहा कि तू ने मांगने में कठिन किया यदि तू मझे आप से अलग होते हुये देखेगा तो ऐसा ही तुझ पर होगा और यदि नहीं तो न होगा। और ऐमा हुआ कि ज्यांहीं वे दोनों टहलते हुए बातें करते चले जानब तो देखा कि एक आग को रथ और आग के घोड़े आये और उन दोनों को अलग किया और इलियाह बौडर में हेरके स्वर्ग पर जाता रहा। १२। और इलोमा देख के चिलाया कि हे मेरे पिता हे मेरे पिता इमराएल के घाड चढ़े और उस ने उसे फिर न देखा और उम ने अपने ही कपड़ों को लेके उन्हें दो टुकड़ा किया॥ १३ । और उम ने दूलियाह के बढ़ने को भी जो उस पर से गिर पड़ा था उठा लिया और उनटा फिरा और यरदन के तौर पर खड़ा हुआ ॥ १४ । और उम ने इलियाह के ओड़ने को जो उम्म गिर पड़ा था लेके पानियों को मारा और कहा कि परमेश्वर इलियाह का ईश्वर कहां और जब उम् ने भी पानियों को मारा तो पानो इधर उधर हो गया और इलीसा २.५ । और जब यरोहा के भविष्यद्वक्तों के संतानों ने जो देखने को निकले थे उसे देखा तो बोले कि इलियाह को आत्मा इलीसान पर ठहरती है और वे उन को भेंट के लिये आये और उस के आगे भनि पर झुके॥ १६ । और कहा कि देखिये अब तेरे सेवकों के साथ पचास चौर पुत्र हैं हम तेरी विनती करते हैं कि उन्हें जाने दीजिये कि तेरे खामी को ढूंनें क्या जाने परमेश्वर के अात्मा ने उसे उठा के किमी पर्वत पर अथवा तराई में फेंक दिया हो चुह बोला कि किसी को मत भेजो । १७। और जब उन्हों ने यहां ले उसे उभारा कि वुह लज्जित हुआ पचास जन को उस ने कहा कि भेजो तब उन्हों ने भेजा और उन्हों ने तीन दिन लो उसे ढूंढा पर न पाया। १८। और जब वे उस पास फिर आये क्योंकि वुह यरीहो में ठहरा था तब उस ने उन्हें कहा कि मैं ने तम्हें न कहा था कि मत जाओ। १४। तब उस नगर के लोगों ने दूलीमात्र से कहा कि मैं तेरी बिनती करता हूं देखिये कि इम नगर का स्थान ममभावना है जैसा मेरे प्रभु देखते हैं परंतु पानी निकम्मा और पारगया॥