पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७१७

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पभु १८ पर्व को पुस्तक। पचास पचास करके एक खोह में छिपाया और उन्हें अन्न जल से पाला। ५ । र अखिअब ने अबदियाह से कहा कि देश में फिर और समस्त जल के सेताओं और नाला में जा क्या जाने कि घोड़े और खच्चर के जौने रखने के लिये चाम मिल जाये न हो कि पश हम्मे से नष्ट हो। ६। सो उन्हों ने आपुम में देश का विभाग किया कि आरंपार जाय अखि अव आप एक ओर गया और अबदियाह आप हमरी और ॥ ७॥ और ज्यां अबदिया ह मार्ग में था दलियाह उसे मिला और उम ने उसे पहि- चाना और धा मिरा और बोला कि आप मेरे प्रभु इलियाह हैं। ८। और उप्स ने उसे उत्तर दिया कि मैं हौं हं जा अपने प्रभु से कह कि इलि- याह है। 61 वुह बोला कि मैं ने क्या अपराध किया है जो तू अपने दास को बध करने के लिये अखिअब के हाथ सेंपा चाहता है। परमेश्वर तेरे ईश्वर के जीवन सा कोई जाति अथवा राज्य नहीं है जहां ने नेरी खोज के लिये न भेजा हो और जब उन्हों ने कहा कि वह नहीं है तब उस ने जाति को और राज्य को किरिया लिई कि हम ने उसे नहीं पाया ॥ १५ । और अब त कहता है कि जाके अपने प्रभु से कह कि देख इलियाह है।। १२ । और जब मैं तेरे पास में चला जाऊंगा तब ऐमा होगा कि परमेश्वर का अात्मा तुझे क्या जाने कहां ले जायगा और जब में जाके अखिअव से कहंगा और वुह तुझे न पा सके तब मुझे वधन करे परंतु मैं तेरा सेवक लड़काई से परमेश्वर से डरता हूं ॥ १३ । मेरे प्रभु से नहीं कहा गया कि जब ईजबिल ने परमेश्वर के भविष्यक्तिों को मार डाला तब मैं ने क्या किया कि परमेश्वर के मा भविष्यद्वक्ता को ने के पचास पचास करके एक खोह में विपाया और उन्हें अन्न जल से १४। और अब तू कहना है कि जाके अपने प्रभु को जनाब कि ट्ख इलियाह है और बुह मुझ बघन करेगा। २५ । तब इलियाह ने कहा कि सेनाया के परमेश्वर के जीवन सा जिस के धागे में खड़ा रहता हूँ मैं अवश्य आज उम पर अपने को दिखाऊंगा ॥ १६ । सो अबदियाह अखिअब से भंट करने को गया और उसे कहा चौर खिचय इसियाह की भेट हो गया। १७१ और ऐसा हुआ कि जब अलिअब ने इलियाह को देखा तो उसे कहा कि क्या तू वही है जो इसरापलियों का पाला॥