पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७०६

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[१४ पन्ने राजावली की लोथ को उठाके उस गदहे पर लादा और फेर लाया और उस के लिये शोक करते हुए इस भविष्यद्वक्ता नगर में पहुंचा कि उसे गाड़े। ३० । फिर उस ने उस की लोथ को अपनी ही समाधि में रकबा और यह कहके उस के लिये उन्दी ने बिलाप किया कि हाय मेरे भाई ॥ और उस के गाड़ने के पौछ या हुआ कि बुह यह कहके अपने बेटों से बोला कि जब में मरूं तो मझे ईम्वर के इस जन को समाधि में गाड़ियो और मेरो हड्डियां उस की हड्डियों के पास रखिया । ३२ । क्योंकि वुह बच्चन जो परमेश्वर ने बैतएल की बेदी और सिमझन के नगरों के कंचे स्थानों के समरू घरों के विरोध में कहा से अवश्य पूरा होगा । ३३ । इम के पीछे यरुबिधाम अपनी बुराई से न फिरा परन्तु फिर नौच लोगो को ऊंचे स्थानों का याजक बनाया जिस ने चाहा उसे उस ने स्थापित किया और वुह ऊंचे स्थानों का एक याजक हुआ ॥ और यही बस्तु यरुविधाम के वराने के न्निये यहां लो पाप हुआ कि उसे उखाड़ और एथिवी पर से नष्ट करे। १४ चौदहवां पच ॥ न समय में यरु विश्राम का बेटा अबियाह रोगी हुशा॥ २। और यसबिधाम ने अपनी पत्नी से कहा कि उठके अपना भेष बद्दल जिसने न जाना जाय कि तू यरुविश्राम की पत्नी है और शीलो को जा और देख वहां अखियाह भविष्यद्वक्ता है जिस ने मुझे कहा था कि न इन लोगों का राजा होगा। ३। और अपने हाथ में इस रोटियां और लड्डू और एक पाच मधु लेके उस पास जा और वुइ तुझे बनावेगा कि इस लड़के को क्या हेरगा। ४। सब यसबिआम की पत्नी ने बैसाही किया और उठके शोलो को गई और अरियाह के घर में पहुंची परन्तु अखियाच देख न सक्ता था क्योंकि बुढ़ापे के कारण उस को रखें बैठ गई थौं। ५। तब परमेश्वर ने अखियाह से कहा कि देख यरूवित्राम की पत्नी अपने बेटे के बिघय में तुझ से कुछ पूछने को प्राती है क्योकि बुह रोगी है न उसे यो यो कहिया क्योंकि यों होगा कि जब वुह भीतर पावेगी बुह अपना भेष बदल डालेगी॥ ६ । और यो हुआ कि जब