पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७०५

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२३ पर्व कौ९ पुस्तक। २८। तब उस ने उसे कहा कि मैं भी नेरी नाई एक भविष्यद्वका हं और परमेश्वर के बचन के द्वारा से एक दूत ने मुझे कहा कि उसे अपने साथ अपने घर में फिरा ला जिसने बुह रोटी खाय और पानी पीये उस ने उसे झूठ कहा ॥ १६। से। बुह उस के साथ फिर गया और उस के घर में रोटो खाई और जल पीया ॥ २०। और यां हुआ कि ज्या वे मंच पर बैठे थे तब परमेश्वर का वचन उस भविष्यद्वक्ता पर जो उसे फिरा लाया था उतरा। २१। और उस ने ईश्वर के उस जन से जो यहूदाह से आया था चिलाके कहा कि परमेश्वर यह कहता है कि इस कारण न ने परमेश्वर के वचन को उलंबन किया है और जा तेरे ईसार परमेश्वर ने तुझे आज्ञा (कई है तू ने उसे पालन न किया ॥ २२। परंतु फिर आया और उस ने जिस स्थान के विघय में तुझ कहा कि कुछ रोटी न खाना न जल पीना उसी स्थान में नमे रोटी खाई और जल पोया से तेरी लोच नेरे पितरों को समाधि में न पहुंचेगौ॥ २३ । और ऐसा हुआ कि जब चुछ उस के लिये अर्थात् उस भविश्यद्वक्ता के लिये जिसे बुह फेर लाया था गदहे पर काठी बांधी ॥ २४ । जब वुह वहां से गया तो मार्ग में उसे एक मिह मिला जिस ने उसे मार डाला और उस को लोय मार्ग में पड़ी थी गदहा उस पाम खड़ा रहा और सिंह भा उस लोय के पास खड़ा था॥ २५ । और देखो कि लोगों ने उधर से जाने जाने लाथ को मार्ग में पड़ी देखा और कि सिंह भी लोथ पास खड़ा है तब उन्हों ने नगर में श्राके जहां बुह शुद्ध भविश्यबता रहता था कहा ॥ २६ । और जब उस भविश्यद्वक्ता ने जा उसे मार्ग में से फिरा लाया धा सुना तो कहा कि यह ईश्वर का वुह जन है जिस ने परमेश्वर का वचन न माना इस लिये परमेश्वर ने उसे सिंह को सौंप दिया जिस ने उसे परमेश्वर के वचन के समान जो उस ने कहा था फाड़ा और मार डाला है ॥ २७। फिर बुह अपने चटी से यह कह के बोला कि मेरे लिये गदहे पर काठो बांधा और उन्हों ने बांधौ॥ २८। तब उस ने जाके उस की लेाध मार्ग में पड़ी पाई और गदहा पोर सिंह लोथ पास खड़े थे सिंह ने लोध को न खाया धान गदहे को फाड़ाधा। २६। तब उस भविष्यवक्ता ने ईमार के जन खा पो चुका तब उसने