पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६४२

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६३४ समएम [१५ पब लेता था और उस का चूमा लेता था॥ ६। और इस रीति से अविसल्लम सारे इसराएल से करता था जो राजा पास बिचार के लिये आते थे सो अबिसलम ने इसराएल के मनुष्यों के मन चुराये ॥ ७। और चालीस बरम के पीछ एसा हुआ कि अविमलुम ने राजा से कहा कि मैं आप की विनती करता हूं कि मुझे जाने दीजिये कि अपनी मनातौ को जो मैं ने परमेश्वर के लिये मानी है हवरून में परी करूं ॥ ८॥ क्योंकि आप के दास ने जब अराम जसर में था यह मनातौ मानौ थी कि यदि परमेम्पर मुझे यरूसलम में निश्चय फेर ले जायगा तो मैं परमेश्वर की सेवा करूंगा। । तब राजा ने उसे कहा कि कुशल से जा सो उठके हवरून को गया। १०। परंतु अबिस म ने इसराएल के संतान को मारी गोटिया में भदियां के द्वारा से कहला भेजा कि जब तुम नरसिंगे का शब्द सुनो तब बोल उठा कि अविसलुम हवरून में राज्य करना है। १९ । और अबि- सलुम के साथ यरूसलम से दो मी मनुष्य निकल आये और वे भालाई से गये थे वे कुछ न जानने थे॥ १२ । और अविसल्लम ने जैली अखितुफ्फल दाकद के मंत्री को उस के नगर जैला से बुलाया जब बुह बलि चढ़ाता था और गुष्ट दृढ़ हो रहा था क्योंकि अविसलुम पास लोग बढ़ने जाने थे। १३। तब एक दून ने आके दाजद को कहा कि दूसरारन के लोगों के मन अबिसलुम के पीछे लगे हैं। ५४। तब दाऊद ने अपने समस्त सेवकों को जा यरूसलम में उस के साथ थे कहा कि उठो भाग कयाकि अभिसलम से हम न बचगे भी न चला न हो कि बुह अचानक हम पर आ पड़े और हम पर बुराई लावे और तलवार की धार से नगर को नाश करे। १५ । तब राजा के सेवको ने राजा से कहा कि देखिय आप के सेवक जो कुछ कि को ॥ प्रभु राजा की इच्छा होय । १६ । नब राजा निकला और उस का सारा घराना उस के पीछे हुआ और राजा ने दस स्त्रियां जो उम की दासियां थीं घर देखने को छोड़ौं॥ १७॥ और राजा अपने सब लोगां समेत बाहर निकल के दूर स्थान में जा ठहरा॥ १८। और उस के मारे सेबक उस के साथ साथ निकल गये और सारे करीती और पलीती और जननी छ मजन जो जअत से उस के पौछ आये थे