पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६३४

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समूमल १५ । सेो नानग अपने घर को गया और परमेश्रर ने उस लड़के को जो जरियाह की पत्नी दाऊद के लिये जनी थी मारा कि बुह बड़ा रोगी डा॥ १६। दूम लिये दामाद मे उस लड़के के लिये ईश्वर से विनती किई और व्रत रक्खा चौर भीतर जाके सारी रात भूमि पर पड़ा रहा ॥ २७१ यौर उस को घर के प्राचीन उसे शूमि पर से उठाने का प्राये परंतु उम ने न चाहा और न उन के माध भोजन किया ॥ १८। और मातवें दिन बुह लड़का मर गया और दाजद के सेवक उसे कहने से डरे कि लड़का भर गया क्योंकि उन्होंने कहा कि देखा जब लड़का जीता ही था नब हम ने उसे कहा और उस ने हमारी बात न मागी और यदि हम उसे कहें कि लड़का मर गया और बुह श्राप को कैला कष्ट देगा। १६ । पर जब दाजद ने देखा कि उस के सेवक फुसफुमा रहे हैं उस ने बूझमा कि लड़का मर गया इस लिये दाजद ने सेवकों को कहा कि क्या लड़का मर गया वे बोले कि मर गया। २० । तब दाऊद भूमि पर से उठा और नहाया और सुगंध लगाया धौर बस्त्र वदला और परमेश्वर के घर में श्रआया और दंडवन किई तब बुह अपने घर गया और जब उस ने चाहा नब उस के बागे रोटी धरी गई, और उस ने खाई॥ २१। तब उस रोनकों ने उसे कहा कि अाप ने यह कैमा किया है जब लो लड़का जौता या आप ने व्रत करके विलाप किया परंतु जब लड़का मर गया तब उसके रोटी खाई ॥ २२ । और उस ने कहा कि जब लेो लड़का जीता ही था तय लों में ने व्रत करके विलाप किया ज्योकि मैं ने कहा कि कौन जानता है कि ईश्वर मुझ पर अनुग्रह करेगा जिसने खड़का जीये ॥ २३ । पर अब तो बुह मर गया से। मैं किम लिय ब्रत करूं क्या मैं उसे फर ना सक्ता ई मैं उस पास जाऊंगा पर वुह मुझ पास फिर म आवेगा । २४ । चार दाऊद ने अपनी पत्नी बिन्त सव को शांति दिई और उन्नत पास गया और वुह बेटा जनी और उम ने उन का नाम सुलेमान रकबा और परमेश्वर उस्से प्रीति रखता था॥ २५ । और उस ने नातन अागम- ज्ञानी के द्वारा से कहला भेज के उस का नाम परमेश्वर के कारण परमेश्वर का मिय रखा ॥ २६ । और यूअब असून के मंतान के रज्वः से लड़ा और राज नगर ले लिया॥ २७। फिर यूअव ने दूतों को भेज के दाजद