पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६३१

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याह को यत्रब का और जब दाऊद ६२३ गई। ५। और वह स्त्री गर्भिणी हुई और दाऊद को कहला भेजा कि मैं गर्भिणी हं॥ ६ । और दाजद ने यूअव को कहला भेजा कि हिनी जरि- मुझ पास भेज दे से यूअब ने जरियाह को दाऊद पास भेज दिया । ७। और जब ऊरियाह उस पाम आया तब दाऊद अरु और लोगों का कुशल क्षेम और लड़ाई का समाचार पूक्का ॥ ८। फिर दाऊद ने रियाह को कहा कि अपने घर जा और अपने पांव धो नबजरियाह राजा के घर से निकला और उस के पौछ पौके राजा के घर से भाजन गया। । पर जरियाह राजा के घर की डेवढ़ी पर अपने प्रभु के सेवकों के साथ से रहा और अपने घर को न गया। को कहा गया कि जरियाह अपने घर नहीं गया तब दाऊद ने अरियाह से कहा कि क्या तू यात्रा से नहीं आया फेर तू अपने घर क्यों न गया। ११। और रियाह ने दाऊद से कहा कि मंजूषा और इसराएल और यहूदाह तंबूओं में रहते हैं और मेरा प्रभु यूअब और मेरे प्रभु के सेवक खुले चौगान में पड़े हुए हैं और मैं क्यांकर अपने घर जाऊं और खाज पौऊ और अपनो स्त्री के साथ से। रझं तेरे जीवन से और तेरे प्राण के जीवन से में ऐसा न करूंगा। १२। फिर दाऊद ने जरियाह को कहा कि आज के दिन भी यहीं रह जा और कल मैं तुझे भेजूंगा सेा जरियाह उस दिन भी प्रातः काल लो यरूसलम में रह गया। १३ । तब दाजर ने उसे बला के अपने साम्ने खिलाया पिलाया और उसे उन्मत्त किया सांझ को वुह बाहर जाके अपने प्रभु के सेवकों के माथ अपने बिछौने पर से रहा परंतु अपने घर न गया। प्रातःकाल यां हुआ कि दाजद ने य अब को चिट्ठी लिख के जरियाह के हाथ भेजी॥ १५। और उस ने चिट्ठी में यह लिखा कि ऊरियाह के। भारी लड़ाई के आगे करो और उस के पीछे से हट जाओ जिसन वुह २६ । और ऐसा हुआ कि जब यूअब ने उस नगर का भेद ले लिया तो उम ने रियाह को ऐसे स्थान में ठहराया जहां बुह जानता था कि सरमा हैं॥ १७॥ और उस नगर के लोग निकले और यअब से लड़े और दाजद के सेवकों में से गिरे और हित्ती जरियाह भी १४ । और मारा जाय॥ मारा गया।