पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६२

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५२ [२७ पब्जे उत्पत्ति खादित्त भोजन बनाया ॥ १५ । और रिवका ने घर में से अपने जेठे बेटे एसौ का अच्छा पहिरावा लिया चौर अपने छोटे बेटे यन्त्रकब को पहिनाया॥ १६ । और बकरी के मेन्नों का चमड़ा उस के हाथों और उस के गले की चिकनाई पर लपेटा। १७। और अपना बनाया हुत्रा लादित भोजन और रोटी अपने बेटे यकूब के हाथ दिई ॥ १८। र बुह अपने पिता के पास जाके बोला हे मेरे पिता और बुह बोला मैं वहां हं तू कौन है हे मेरे बेटे ॥ १६ । नव याकूब अपने पिता से बोला कि मैं बाप का पहिलोठा एसोहं श्राप के कहने के समान मैं ने किया है उठ बैटिये और मेरे स्टग मांस में से कुछ खाइये जिसमें आप का प्राण मुझे आशीष देवे॥ २० । तब इज़हाक ने अपने बेटे से कहा कि यह क्यों कर है जोतू ने ऐसा वेग पाया है मेरे बेटे और बुह बोला इस लिये कि परमेश्वर अाप का ईश्वर मेरे धागे लाया ॥ २१ । तब इजहाक ने यन्त्रकूब से कहा कि हे बेरे मेरे पास आ जिसने मैं तुझे स्टोलों कि निश्चय तू मेरा बेटा एसा है कि नहीं ॥ २२ । लब यअब अपने पिता इज़हाक पास गया और उस ने उसे स्टाल के कहा कि शब्द तेर यनकद का शब्द है पर हाथ एसौ के हाथ है। २३ । और उस ने उसे न पहिचाना इस लिये कि उस के हाथ उस के भाइ एसो के हाथों की नाईरोबार थे से उस ने उसे आशीष दिया ।। कहा कि तू मेरा वहीं बेटा एमा ही है घुह बोला कि मैं वही हं॥ २५ चौर उस ने कहा कि मेरे पास ला कि मैं अपने बेटे के मृग मांस से कुछ खाऊं जिसने जी से तुझे आशीष देऊ सेा वुह उस पास लाया और ने खाया और वुह उस के लिये दास रम खाया और उम् ने पौया । २६। फिर उस के पिता इजहाक ने उसे कहा कि वेरे अब पास या और मुझे चूम ॥ २७। बुह पास आया और उसे चूमा और उस ने उम के पहिराबा की बास पाई और उसे आशीष दिया और कहा कि देख मेरे बेटे का गंध उस खेत के गंध की नाई है जिस पर परमेश्वरने श्राशीष दिया है। २८। और ईश्वर तुझी आकाश की ग्राम और एथिवी की चिकनाई चार बहुत से अन्न और हाख रस दवे ॥ २९ । लोग तेरी सेवा करें और जातिगण तेरे आगे झुके तू अपने भाइयों का २६ । और उस्