पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६०

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चौर उत्पत्ति [२६ पर्च झगड़ा करने के लिये उस ने उस कुएं का नाम झगड़ रका॥ २१ । और उन्हों ने दूसरा कुत्रा खेरदा और उस के लिये भी झगड़ा और उस ने उसका नाम विरोध रकबा ॥ २२ । और बुह वहां से आगे चला र दूमरा कुत्रां खेादा उन्हों ने राम के लिये झगड़ा न किया और उस ने उम का नाम ठिकाना रहा और उस ने कहा कि अय परमेश्वर ने हमारे लिये ठिकाना किया है और हम इस भूमि में फलवत होंगे। वहां से बीअरसबन को गया ॥ २४ । और परमेश्वर ने उनी रात उसे दर्शन देके कहा कि मैं मेरे पिता अबिरहास का ईश्वर हं मत डर क्योंकि मैं तेरे संग हूँ और तुझे आशीष देऊंगा और अपने दास अविरहाम के लिये तेरा बंश बताऊंगा ॥ २५ । और उस ने यहां एक बेदी बनाई और परमेश्वर का नाम लिया और वहाँ अपना तंबू खड़ा किया और इजहाक के सेवकों ने वहां एक का खादा ॥ २६ । नव जिरार से अबिमलिक चार एक जम के मित्रां में से अखजन चैर उस के सेनापति फीकुल उस पास गये ॥ २७। और इजहाक ने उन्हें कहा कि तुम किस लिये मुसा पास आथे हो यद्यपि तुम मुझ से बैर रखते है। और तुम ने मुझे अपने पास से निकाल दिया है॥ २८। और वे बोले कि देखते हुए हम ने देखा कि परमेश्वर निःसन्देह तेरे संग है सो हम ने कहा कि हम और तू आपस में किरिया खार और तेरे साथ बाचा बांधे ॥ २६ । जैसा हम ने तुके नहीं छूश्रा और तुझ से भलाई छोड़ कुछ नहीं किया और तुझे कुशल से भेजा तू भी हमें न सवाल अब परमेश्वर का श्राशीषित है। ३.। और उन ने उन के लिये जेवनार बनाया और उन्श ने खाया पौया। ३१ । और बिहान को तड़के उठे और आपस में किरिया खाई और इज़हाक ने उन्हें बिदा किया पर वे उस पास से कुशल से गये ॥ १२। और उसी दिन यों हुया कि इजहाक के सेवक श्राये और अपने खाँदै हुए क्रूर के विषय में कहा और वाले कि हम ने जल पाया ॥ ३३॥ से उस ने उस का नाम सबन रकबा इस लिये बुह मगर आज्ञ ले बीअरबन कह- लाता है॥ ३४। और एसौ जब चालीम बरम का था तब उस ने हटीबोरी की बेटी यहदियान को और हत्ती ऐलून की बेटी बशामत