पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५७३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१६ बप] को १ पन्तका ५६५ होने से तुझो त्याग किया है॥ २७। और जब समूएल फिरा कि चला जाय तो उस ने उस के वस्त्र का खूट पकड़ा और बुह फट गया । २८। तब समूएल ने उसे कहा कि परमेश्वर ने आज इसराएल के राज्य को तुझ से फाड़ा है और तेरे एक परोसी को दिया है जो तुझ से अच्छा है। २६ । और जो इसराएल का बल है से झूठ न बोलेगा और न पछतावेगा क्योंकि बुह मनुष्य नहीं कि वुह पछतावे॥ ३०। तब उस ने कहा कि मैं ने तो पाप किया है पर लोगों के प्राचीनों के और दूसराएल के आगे मेरी प्रतिष्ठा कीजिये और मेरे साथ लौरिये जिसने मैं परमेम्पर तेरे ईश्वर को सेवा करूं ॥ ३९ । नब समूएल साजल के पीछे फिरा और साजल ने परमेश्वर की सेवा किई ॥ ३२ । तब समूएल ने कहा कि अमालीकियों के राजा अगाम को इधर मझ पास लाओ और अमाग निधड़क से उस पास आया और अगाग ने कहा कि कड़वाहट जाती रही॥ २३ । और समूएल ने कहा कि जैमा तेरी तलवार ने स्त्रियों का निवेश किया वैसा ही तेरौ माना स्त्रियों में निर्देश होगी और समूएल ने अगाग को जिलजाल में परमेश्वर के आगे टुकड़ा टुकड़ा किया ॥ ३४ ३४ । और समूएल रामान को गया और माऊल अपने घर जिवित्रत को चढ़ गया॥ ३५ । और समूएल अपने जीवन भर साजल को देखने न गया तिसपर भी समूएल साऊल के कारण विलाप करता रहा और परमेश्वर भी पछताया कि उस ने साजल को इसराएल पर राजा किया । निश्चय मृत्यु १६ सोलहवां पर्व । पर परमेश्वर ने समूएल से कहा कि तू कब लो साजल के कारण बिलाप करता रहेगा मैं ने तो उसे दूसराएल पर राज्य करने से त्याग किया अपने मोंग में तेल भर ओर जा मैं तुझे बैतलहनी यम्मी पास भेजता हूं क्योंकि मैं ने उम के बेटों में से एक को राजा ठहराया है॥ २ । तब समूएल बोला मैं क्योंकर जाऊं यदि माजल मुने तो मुझे मार ही डालेगा और परगेश्वर ने कहा कि एक बलिया अपने माथ ले जा और कह कि मैं पमेश्वर के लिये बलिदान चहाने आया हूँ॥३। और बलिदान