पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५७२

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[२५ पर्व ५६४ समूएल मुनता हू से कैसा है ॥ १५ । और साऊल ने कहा कि वे अमालीकियों से ले आये हैं क्योंकि लोगों ने अच्छी से अच्छी भेड़ और बैल को बचा रकवा है कि तेरे ईश्वर परमेश्वर के लिये बलि चढ़ावें और बचे हुओं को तो हम ने सबंधा नाश किया है। १६ । नब समूएल ने साऊल को कहा कि ठहर जा और जो कुछ परमेश्वर ने बाज रात मुझ से कहा है मैं तुझ से कहंगा वुह उसे बोला कि कहिये ॥ १७॥ समूएल ने कहा कि जब तू अपनी दृष्टि में तुच्छ था तब क्या इसराएल की गोष्ठियों का प्रधान न हुआ और परमेश्वर ने नुझे इसरायल पर राज्याभिषेक न किया ॥ १८। और परमेश्वर ने तुझे यह कहके यात्रा को भेजा कि जा उन पापी अमालीकियों को सर्वथा नाश कर और उन से यहां लो लड़ाई कर कि वे मिट जायें।। १८ । से म ने किस लिये परमेश्वर का शब्द न माना परंतु स्नूट पर दौड़ा और परमेश्वर की दृष्टि में बुराई किई ॥ २० । तव माऊल ने समूएल को कहा कि हां मैं ने तो परमेश्वर के शब्द को माना है और जिस मार्ग में परमेश्वर ने मुझे भेजा चला हूँ और अमालीकियों के राजा अगाग को ले अाया हूं और अमालीकियों को सर्वथा नाश किया है। २१ । पर लोगों ने लूट में भेड़ और बैल और जो अच्छे से अच्छे चाहिये था कि सर्वथा नाश किये जायें सो रख लिये जिसने जिलजाल में परमेश्वर तेरे ईश्वर के लिये भेंट चढ़ावें ॥ २२ । और समूएल बोला कि क्या परमेश्वर होम की भेटो और बलिदानों से ऐसा आनंद है जैसे परमेश्वर के शब्द के मान्ने से देखो माना बलिदान से और सुन्ना मेले की चिकनाई से उत्तम है ॥ २३॥ क्योंकि फिर जाना टेना के पाप के तुल्य है ढिठाई और बुराई मूर्ति पूजा के समान से जैसा तू ने परमेश्वर के बचन को त्याग किया है उम ने तुझे भी राज्य से त्याग किया है। २४ । तब साजल ने समूएल से कहा कि मैंने पाप किया है क्योंकि मैं ने परमेश्वर की आज्ञा को और मेरी बातों को उल्लंघन किया इस कारण कि मैं ने लोगों से डर के उन के शब्द को माना॥ २५ । सो मैं तेरी बिनती करता हूँ कि मेरे पाप क्षमा कीजिये और मेरे साथ उलटा फिरिये जिसने मैं परमेश्वर की सेवा करूं ॥ २६ । और समूएल ने साल से कहा कि मैं तेरे साथ न फिरूंगा क्योंकि तू ने परमेश्वर के वचन को त्याग किया है और परमेश्वर ने दूसराएल पर राजा