पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५७

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२५ पर्व की पुस्तक बंशावली जिसे सरः की लोंडी मिस्त्री हाजिरः अविरहाम के लिय जनी थी ये हैं ॥ ५३। उन की वंशावली की रीति के समान इसमग्रएल के बेटों के नाम ये हैं इसमएल का पहिलोठा नबीन और कोदार और अदबिएल और मिबसाम ॥ १४ । यौर मिसमाज और हमः और मरमा ५५ । और हदर और तैमा और इतूर और नफीस और किदिमः ॥ १६। ये इसमएल के बेटे हैं और उन के नाम उन की बमतियों और उन को गढ़िया में ये हैं और ये अपनी जातिगणों के बारह अध्यक्ष थे॥ और इसमाएल के जीवन के बरस एक सा में तौस थे कि उस ने अपना माण त्यागा और मर गया और अपने लोगों में बटर गया ॥ १८। और वे हबीलः से सूर लो जो असूर के मार्ग में मिस्र के आगे है बसते थे उस ने अपने सारे भाइयों के आगे बाम किया। १६। और अबिरहाम के बेरे इज़हाक की वंशावली यह है कि अविरहाम से इज़हाक उत्पन्न हुआ। २० । इज़हाक ने चालीस वरम् की बय में रिवका से बिबाह किया वुह फहानपराम के मुरियानी बनूएल की बेटी और सुरियानी लरबन की बहिन थी॥ २५ । और इज़हाक ने अपनी पत्नी के लिये परमेश्वर से बिनती किई क्योंकि बुह बांझ थी और परमेश्वर ने उस की बिनती मानी और उस की पत्नी रिबकः गर्भिणी हुई ॥ २२। और उस के पेट में बालक श्रापुस में छेड़ा छेड़ी करने लगे तब उस ने कहा यदि यों तो ऐसा क्यों हो और वुह परमेश्वर से बूझने केर गई ॥ २३ । परमेश्वर ने उसे कहा कि तेरे गर्भ में दो जातिगण हैं और तेरी कोख से दो रीति के लोग अलग होंगे और एक लोग दूसरे लोग से बलवंत होगा और जेष्ठ कनिष्ठ की सेवा करेगा ॥ २४ ॥ और जब उस के जने के दिन पूरे हुए तो क्या देखते हैं कि उस के गर्भ जमल थे। २५ । से पहिला ऐसा जैसा रोम का पहिरावा हाना है वालों में छिपा हुआ लाल रंग का निकला और उन्हों ने उम का नाम एसौ रक्खा ॥ २६ । उस के पीछे उस का भाई निकला और उम् का हाथ एम की एड़ी से लगा हुआ था और उस का नाम यअकूब रक्सा गया जब बुह उन्हें जनी तो इजहाक को बय साठ बरस की थी॥ २७॥ और लड़के बढ़े और एसौ खेत का रवैया