पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५५७

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प की १ पस्त का जावे क्योंकि हमारे पात्रों में रोटी चुक गई, और ईश्वर के जन के लिये नहीं हमारे पास क्या है। ८। पर सेवक ने साऊल को उत्तर देके कहा कि देख्न पांच शेकल चांदी मुझ पास है सेा में ईश्वर के जन को दऊंगा कि हमें मार्ग बताये। । [अगले समय में जब मनुष्य परमेश्वर से प्रश्न करने जाता था तब यह कहता था कि अायो दर्णी पाम जायें क्योंकि अागमज्ञानी आगे दी कहाता था] ॥ १। तब माजल ने अपने सेवक से कहा कि तू ने अच्छा कहा आ चसे से। वे नगर में आये जहां ई म्वर का वुह जन था । २१ । उस नगर को चढ़ाई पर चढ़ते हुए उन्हें कई कन्या मिलों जो पानी भरने जातो थौं उन्हों ने पूछा कि दर्शी यहां है ॥ १२। उन्हों ने उन्हें उत्तर दिया और कहा कि देख वुह तुम्हारे आगे है शीघ्र करो क्योंकि वह आज नगर में आया है और अाज ऊंचे स्थान में लोगों का बलिदान है। १३ । जब तुम नगर में पहुंचा तब तुम उरी बागे कि बुह ऊंचे स्थान में खाने जाय उसे पाओगे क्योंकि जब ले बुह न जाये लोग न खायगे दूस कारण कि बलि को आशीष देता है उस के पौछ नेइंतहरी खाते हैं सेा अब तुम चढ़े। क्योंकि आज तुम उसे पायोगे । १४ । सो वे नगर को चढ़े और नगर में जाते हो क्या देखते हैं कि समूएल उन के आगे आया कि ऊंचे स्थान पर चढ़ जाय। २५ । और अब परमेश्वर ने साजन के अाने से एक दिन अागे समापन के कान में प्रगट कह दिया था। १६ । कि कल इसी समय में एक जन को बिनयमीन के देश से तझ पास भेजंगा और न मेरे इसराएल लोगों पर उसे प्रधान अभिषेक करियो जिमने बुह मेरे लोगों को फिलिस्तियों के हाथ से छुड़ावे क्योंकि मैं ने अपने लोगों पर दृष्टि किई और उन का चिलाना मेरे पास पहुंचा। १७1 से। जब ममूएल ने साजल को देखा तव परमेश्वर ने उसे कहा कि देख यही जन है जिस के कारण मैं ने तुझ कहा था यही मेरे लोगो पर राज्य करेगा॥ १८। तब साऊल समूगल के पास फाटक पर आके बोला कि कृपा करके हमें बताइये कि दर्शा का घर कहां है। तब समूगल ने साजल को उत्तर दे के कहा कि दर्शी में हौं ई मेरे आगे आग ऊचे स्थान पर चढ़ क्योंकि तुम आज मेरे साथ भोजन करोगे और