पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५५२

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५४४ मएल अलंग में रख दे और उसे छोड़ देयो कि चलो जाय ॥ देखो यदि वुह अपने ही सिवाने से होके बैतशम्स को चढ़े तब उमौ ने हम पर यह बड़ी विपत्ति भेजो परंतु यदि नहीं तो हम जानेंगे कि उस का हाथ हम पर नहीं पड़ा परंतु यह विपत्ति आकस्मात् हुई। १.। से लोगों ने वैमा हो किया और दो दुधार गायें लिई और उन्हें गाड़ी में जाता और उन के बछड़ों को घर में बंद किया ॥ ११ ॥ और परमेश्वर की मंजूषा और सोने के मूसों को और बबेमियों को मजूषा में रखके गाड़ी पर धरा ॥ १२ । सो उन गायों ने बैत शम्म का सीधा मार्ग लिया और राज मार्ग में बंबाती चली और दहिने अथवा बायें हाथ न मुडौं और फिलिस्तियों के प्रधान उन के पीछे पीछ बैतशम्म के सिवाने लो गये। १३ । और तराई में बैनशम्सी गोह लबते थे और जब उन्हों ने आंखें अपर किई तब मंजषा को देखा और देखते ही आनंद हुए। २४ । और गाड़ी बैतशम्सौ यहूसूत्र के खेत में और जहां बड़ा पन्थर था आके खड़ी हुई सो उन्हों ने गाड़ी की लकड़ियां को चीरा और गायों को परमेश्वर के लिये होम की भेंट चढ़ाई। १५ । और लावियों ने परमेश्वर की मंजषा को उस मंजषा सहित जो उस के साथ थी जिम में सोने के गहने थे नीचे उतारा और उसे बड़े पत्थर पर रकदा और बैन शम्स के लोगों ने उसी दिन परमेश्वर के लिये हम कौ भेटे और बलिदान चढ़ाये। १६ । और जब फिलिस्तियों के पांच प्रधानों ने यह देखा तो वे उसी दिन अकरून को फिर गये। और सेनानी बबेसी जिन्हें फिलिस्तियों ने पाप की भेंट के लिये परमेश्वर को चढ़ाया ये हैं अशद के लिये एक मजा के लिये एक अकलून के लिये एक जबन के लिये एक और अकरून के न्नि ये एक ॥ १८। और सोने के मस फिलिस्तियों के मारे नगरों की गिनती के समान थे जो पांच प्रधानों के थे बाड़े के नगर और बाहर बाहर के गांवों अबील के बड़े पत्थर लो जिस पर उन्हों ने परमेश्वर को मंजूषा को रखा जो आज के दिन लो बैतशम्सी यहस्त्र के चौगान में हैं॥ १६॥ और परमेश्वर ने बैत शम्स के लोगों को मारा इस कारण कि उन्हों ने परमेश्वर की मंजषा के भीतर देखा अर्थात् पचास सहस्त्र पौर सत्तर